Medieval History of Himachal Pradesh-l हिमाचल प्रदेश का मध्यकालीन इतिहास

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  • नगरकोट का किला कब तक तुर्कों (महमूद गजनवी ) के कब्जे में रहा ?
    A) 1192 ई. तक
    B) 1043 ई. तक
    C) 1092 ई. तक
    D) 1143 ई. तक
    उत्तर B) 1043 ई. तक

व्याख्या :- महमूद गजनवी ने भारत पर 17 आक्रमण किए थे। 1001 ई. महमूद गजनवी ने राजा जयपाल को हराया। महमूद गजनवी ने 1009 ई.में आनंदपाल को हराने के बाद नगरकोट पर आक्रमण किया और उसके खजाने को लुटा। नगरकोट किले पर तुर्कों का कब्जा 1043 ई. तक रहा जिसके बाद दिल्ली के तोमर राजा महिपाल ने नगरकोट से गजनवी शासन की समाप्ति की। महमूद गजनवी 1023 ई. तक नगरकोट को छोड़कर काँगड़ा के अधिकतर हिस्सों पर अधिकार नहीं कर पाया था। त्रिलोचन पाल और उसके पुत्र भीम पाल की मृत्यु के उपरांत 1026 ई. में तुर्कों के अधीन काँगड़ा आया।

  • 1337 ई. में किस मुस्लिम शासक ने काँगड़ा किले पर कब्ज़ा किया था ?
    A) मुहम्मद बिन तुगलक
    B) तैमूरलंग
    C) महमूद गजनवी
    D) मुहम्मद
    उत्तर A) मुहम्मद बिन तुगलक

व्याख्या :- मुहम्मद बिन तुगलक के 1337 ई. के काँगड़ा आक्रमण के समय काँगड़ा का राजा पृथ्वीचंद था।

  • कटोच राजा ने फिरोजशाह तुगलक के 6 माह तक नगरकोट किले पर घेरा डालने के बाद समर्पण कर दिया ?
    A) हरिसिंह
    B) जसपाल
    C) रूपचंद
    D) मेघचन्द
    उत्तर C) रूपचंद

व्याख्या :-1360 ई. काँगड़ा के राजा रूपचंद ने सेना लेकर दिल्ली तक के मैदानी भागों लुटा। 1361 ई. में फिरोजशाह तुगलक ने रूप चंद को सबक सिखाने के लिए नगरकोट पर आक्रमण कर घेरा डाला। राजा रूपचंद और फिरोजशाह तुगलक का बाद में समझौता हो गया और नगरकोट पर से घेरा उठा लिया गया। फिरोजशाह तुगलक 1365 में समझौते के बाद ज्वालामुखी गया और 1300 संस्कृत पुस्तकों को फ़ारसी में अनुवाद करवाने के साथ ले गया। इन पुस्तकों का अनुवाद फ़ारसी में प्रसिद्ध लेखक ‘अज्जुदीन ख़ालिदखानी ‘ ने किया और पुस्तकों का नाम ‘दलील -ए-फिरोजशाही ‘ रखा। राजा रूप चंद की 1375 ई. मृत्यु के बाद उसका पुत्र सागर चंद राजा बना।

  • के आक्रमण के समय (1398) हिंडुर (नालागढ़) का शासक कौन था?
    A) रुपचंद
    B) आलमचन्द
    C) हरिसिंह
    D) श्रीचंद
    उत्तर B) आलम चंद

व्याख्या:- तैमूरलंग के आक्रमण के समय हिंडुर (नालागढ़) का शासक आलमचंद था जिसने तैमूरलंग की सहायता की जिसके फलस्वरूप तैमूरलंग हिंडुर को हानि पहुंचाए बिना आगे बढ़ गया।तैमूरलंग के आक्रमण के समय कांगड़ा का राजा मेघचन्द था। तैमूरलंग ने वापसी में 1399 ई. में शिवालिक क्षेत्रों पर आक्रमण किया। उसने नूरपूर (धमेरी) के अलावा सिरमौर क्षेत्र पर आक्रमण किया जिसका विरोध रत्न सिंह द्वारा किया गया।

  • 1588-89 ईसवीं में कांगड़ा के किस राजा ने जम्मू से कांगड़ा तक के सभी पहाड़ी प्रमुखों को अकबर के विरुद्ध संगठित किया था?
    A) विधिचन्द
    B)त्रिलोकचंद
    C)जयचंद
    D)भीमचंद
    उत्तर A)विधिचन्द।

व्याख्या:- राजा जयचंद की 1585 में मृत्यु के बाद उसका बेटा विधिचन्द राजा बना । 1589 ई. में विधिचन्द ने पहाड़ी राजाओं से मिलकर विद्रोह किया परंतु उसे हार मिली । उसे अपने पुत्र त्रिलोकचंद को बंधक के तौर पर मुगल दरवार में रखना पड़ा।

  • मुगल सम्राट अकबर का समकालीन कांगड़ा का राजा कौन था?
    A)पृथ्वी चंद
    B) जयचंद
    C)घमण्ड चंद
    D)आलम चंद
    उत्तर B) जयचंद

व्याख्या:- धर्मचंद, मानिकचंद, जयचंद और विधि चंद अकबर के समकालीन राजा थे। अकबर ने कांगडा के राजा जयचंद को बंधक बनाया था।अकबर ने 1572 ई. में टोडरमल को पहाड़ी रियासतों की जमीनें लेकर एक शाही जमीदार स्थापित करने के लिए नियुक्त किया।जिसमें कांगड़ा के 66 गांव और चम्बा के रिहलु छेरी, पठियार और धारों क्षेत्र शामिल थे। चम्बा का राजा प्रताप सिंह वर्मन अकबर , सिरमौर का राजा धर्म प्रकाश अकबर के समकालीन राजा थे। बिलासपुर का राजा ज्ञान चंद अकबर के समकालीन थे।

  • किस रियासत के शासक ने मुगल सम्राट जहांगीर की कांगड़ा का किला हस्तगत करने में मदद की?
    A) नालागढ़
    B) नूरपूर
    C) चम्बा
    D) गुलेर
    उत्तर B) नूरपूर

व्याख्या:- जहांगीर ने 1615 ई. में कांगड़ा पर कब्जा करने के लिए नूरपूर के राजा सूरजमल और शेख फरीद मुर्तजा खान को भेजा परन्तु दोनों में विवाद हुआ और मुर्तजा खान की मृत्यु के बाद कांगड़ा किले पर कब्जा करने की योजना को स्थगित कर दिया गया। वाद में सूरजमल ने मुगलों के विरुद्ध विद्रोह कर दिया। जहांगीर ने सूरजमल के विद्रोह को दबाने के लिए राजा राय विक्रमजीत और अब्दुल अजीज को भेजा। कांगड़ा का किला 1620 में मुगलों के अधीन आ गया । किले को जीतने में राजा सूरजमल के छोटे भाई जगत सिंह ने मुगलों की मदद की। जहांगीर ने नागरकोट किले के अंदर मस्जिद का निर्माण किया। जहाँगीर 1622 ई. में धमेरी (नूरपुर) आया उसने अपनी पत्नी नूरजहाँ के नाम पर धमेरी का नाम नूरपूर रखा। कांगड़ा किले के दरवाजे के नाम जहाँगीरी दरबाजा रखा था।

  • मुगल शासन काल मे चम्बा के राजा जनार्दन और जगत सिंह के बीच धलोग का युद्ध हुआ?
    A) अकबर
    B) बाबर
    C) जहाँगीर
    D) शाहजहाँ
    उत्तरC) जहाँगीर

व्याख्या:- जहाँगीर के समय चम्बा के राजा जनार्दन और जगत सिंह के बीच धलोग का युद्व हुआ जिसमें जगत सिंह विजयी रहा । चम्बा पर 1623 ई से लेकर 2 दशक तक जगत सिंह का कब्जा रहा । जगत सिंह का वफादार था । सिरमौर का राजा बुद्धि प्रकाश जहाँगीर का समकालीन था । कांगड़ा किले का पहला मुगल किलेदार नबाब अलीखान था

  • शाहजहाँ ने 1645 ई. में नूरपुर रियासत के किस नरेश को बलख के उज्बेकों को नियंत्रित करने के लिए भेजा ?
    A) जगत सिंह
    B) बसदेव (बासु )
    C) राजरूप
    D) पृथ्वी
    उत्तर A) जगत सिंह

व्याख्या :- शाहजहाँ ने 1645 ई. में नूरपुर रियासत के नरेश जगत सिंह को बदखशाँ (बलख) के उज्बेकों को के विरुद्ध लड़ने के लिए भेजा। इस अभियान का नेतृत्व आमिर-उल-उमरा कर रहा था। जगत सिंह पंजाब के सूबेदार रियाज बेग बने पहाड़ी राज्यों के परिसंघ से अलग रहा था। जगत सिंह की मृत्यु के बाद शाहजहाँ ने राजरूप सिंह को बदखशाँ के अभियान में भेजी सेना का अध्यक्ष बनाया।

  • मुग़ल सम्राट शाहजहाँ का समकालीन सिरमौरी राजा कौन था ?
    A) कर्म प्रकाश
    B) बुद्धि प्रकाश
    C) धर्म प्रकाश
    D) मन्धाता प्रकाश
    उत्तर D) मन्धाता प्रकाश

व्याख्या :- सिरमौर का राजा मन्धाता प्रकाश शाहजहाँ का समकालीन था। उसने मुगलों के गढ़वाल अभियान में कई बार सहायता की।

  • 1678 ई. में औरंगजेब ने चम्बा के किस राजा को चम्बा रियासत के सभी मंदिरों को गिराने की आज्ञा दी ?
    A) उम्मेद सिंह
    B) पृथ्वी सिंह
    C) चतर सिंह
    D) उदय सिंह
    उत्तर C) चतर सिंह

व्याख्या :- 1678 ई. में औरंगजेब ने चम्बा के राजा को चम्बा रियासत के सभी मंदिरों को गिराने की आज्ञा दी थी। चतर सिंह ने आदेश मानने से इंकार कर दिया उसके उत्तर में सभी मंदिरों पर एक सुनहरी बुर्जी सजाने की आज्ञा दी। उसने गुलेर ,जम्मू और बसौली के राजाओं के मिलकर एक संघ बनाया तथा पंजाब के मुग़ल वायसराय मिर्जा रियाज बेग को हराकर अपने खोए प्रदेश वापिस लिए।

  • औरंगजेब ने बुशहर के किस राजा को छत्रपति का खिताब प्रदान किया था ?
    A) राजा राम सिंह
    B) केहरी सिंह
    C) चतर सिंह
    D) सुमेर सिंह
    उत्तर B) केहरी सिंह

व्याख्या :- राजा केहरी सिंह को औरंगजेब ने छत्रपति केस ख़िताब से सम्मानित किया। राजा केहरी सिंह को ‘अजानबाहु ‘ भी कहा जाता था क्योंकि वह सीधे खड़े होकर अपने घुटने छू सकता था। राजा केहरी सिंह ने लवी मेला शुरू किया था। केहरी सिंह को हांगरांग घाटी तिब्बत से जागीर के रूप में मिली थी। उसने तिब्बत के क्षेत्र को एक संधि द्वारा वर्तमान सीमा तक पीछे कर दिया था।

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