Sirmaur Praja Mandal | सिरमौर प्रजा मण्डल

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  • अखिल भारतीय रिसायती प्रजा परिषद् के प्रस्तावों से प्रभावित हो कर सिरमौर में हिमाचल की सबसे पहली प्रजामण्डल संस्था का गठन किया गया। इसके संस्थापक पं. राजेन्द्र दत्त थे। उन्होंने इसका कार्यालय नाहन के स्थान पर पांवटा में स्थापित किया। इसमें चौधरी शेर जंग, मास्टर चतर सिंह, सालिग राम, कुन्दन लाल, अजायब सिंह आदि ने सक्रिय भाग लिया।
  • 12 अक्तूबर, 1930 ई. को पंजाब तथा पहाड़ी रियासती प्रजा का प्रथम सम्मेलन लुधियाना में हुआ। इसमें सिरमौर के पांवटा से सरदार भगत सिंह और दो अन्य लोगों ने सिरमौर रियासत का प्रतिनिधित्व किया।
  • इसी अवधि में सिरमौर रियासत के पं. शिवानन्द रमौल ने दिल्ली में स्थित “सिरमौरी एसोसिएशन” का सदस्य बनकर अपने आदोलनकारी जीवन का आरम्भ किया। रियासत के भीतर राजेन्द्र वत्त आदि इसका संचालन करते रहे। 1934 ई. में सिरमौर रियासत में कुछ लोगों ने एक सिरमौर प्रजा मण्डल की स्थापना की। इसमें डॉ. देवेन्द्र सिंह, रामनाथ और आत्मा राम संस्थापक सदस्य बने।
  • प्रजा मण्डल के लोगों को आतंकित करने के लिए रियासती सरकार ने डॉ. देवेन्द्र सिंह, हरी चन्द पाधा, आत्माराम, इन्द्र नारायण और उनके साथियों पर मुकदमे चलाए। उन पर महाराजा को जान से मारने तथा उनकी कार पर पत्थर फेंकने के झूठे आरोप लगाए गए।
  • उन दिनों यशवन्त सिंह परमार सिरमौर के डिस्ट्रिक्ट और सेशन जज थे। उन्होंने इस केस से संबंधित अपने फैसले में प्रजा मण्डल वालों का पक्ष लिया और उन पर लगे महाराजा की हत्या के आरोप को झूठा सिद्ध किया। इससे यशवन्त सिंह परमार के राजा राजेन्द्र प्रकाश के साथ राजनैतिक मतभेद हो गए। इसी कारण उन्होंने सन् 1941 में नौकरी से त्यागपत्र दे दिया।
  • इस पर राजा ने उन्हें रियासत से निकाल दिया। उन्होंने 1943 से 1946 तक दिल्ली में सिरमौरियों को संगठित किया और उन्हें लोकतान्त्रिक अधिकारों की प्राप्ति के लिए संघर्ष करने के लिए तैयार किया।

Sirmaur Praja Mandal | सिरमौर प्रजा मण्डल

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