अच्छर कुंड (Achhar Kund) : काँगड़ा -हिमाचल प्रदेश
यह काँगड़ा के निकट भवन में एक धार्मिक प्रतिष्ठित स्थान है। गुप्त गंगा के नजदीक अच्छर कुंड लोगों की आस्था का केंद्र है। यहाँ एक जलप्रपात और एक मंदिर हैं। गुप्त गंगा से होकर निकलने वाला पानी अच्छर कुंड में झरने के रूप में गिरता है। लोग इसी झरने में स्नान करते हैं। जिन लोगों को चरम रोग होता है और प्रेत साय से ग्रस्त होते हैं, ज्यादातर वे लोग यहा पर स्नान कर लाभ पाते हैं। जिनकी कोई संतान नहीं है और जो पुत्र के चाहवान हैं, वे भी यहा पर स्नान करते हैं। जिनकी मुराद पूरी हो जाती है वे लोग यहा पर आकर अपनी आस्था मुताबिक प्रसाद चढ़ाते हैं।
विशेषकर संतानरहित महिलाएं वहां रविवार और मंगलवार के दिनों में जाती हैं ,रात वहाँ व्यतीत करती है और अगली सुबह स्नान कर के वापिस आती है। वापसी पर हर व्यक्ति उन की छाया से दूर रहता है ताकि बिना ध्यान किए उन को जाने दिया जाए।
अमावस्या, ग्रहण व पूर्णिमा, संक्रांति को यहा पर स्नान करने का विशेष महत्व है। इन दिनों में किए गए स्नान से मनोवाछित फल प्राप्त होता है। जिनकी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं, वे यहा पर सेवा भी करवाते हैं।
यहाँ पर भैरो बाबा व हनुमान के मंदिर के साथ पीर बाबा शामदार लखदाता का भी मंदिर है। मान्यता है कि राजा पुरी को स्वर्ग लोग प्राप्त हुआ था, लेकिन उनकी कोई संतान नहीं थी। इस पर भगवान इंद्र ने उन्हें अक्षरा कुंड में स्नान करने को कहा था और धरती पर भेज दिया था। राजा पुरु ने अक्षरा कुंड में स्नान किया था और उसके बाद उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ति हुई थी। इस दुर्लभ झरने में अकबर भी स्नान कर चुके हैं।
अच्छर कुंड (Achhar Kund) : काँगड़ा -हिमाचल प्रदेश
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