Faagali Fair of District Kullu-Himachal Pradesh
फागुन मास में मनाये जाने के कारण इस मेले को फागली कहते हैं। फागली से कुल्लू में मेलों का शुभारम्भ होता है। इसके पश्चात् दशहरा तक कुल्लू जिला के किसी क्षेत्र में हर मास कोई न कोई मेला होता रहता है।
यह फागली लाहुल या किन्नौर की फागली से भिन्न है। लाहुल की फागली चन्द्र पंचांग के अनुसार नववर्ष का उत्सव है, जबकि कुल्लू जनपद में फागली अपनी सांस्कृतिक पृष्ठभूमि लिये हुए है।
फागली के समय सात दिन तक देवता की पूजा की जाती है। छाया में उगाई जौ की पीली पत्तियां देवताओं को भेंट करते हैं तथा स्त्रियां बालों में और पुरुष टोपियों में सजाते हैं। मेले के दिन राक्षस और देवता का युद्ध दिखाया जाता है। राक्षस शरीर पर जंगली घास और मुख पर मुखौटे लगा कर बनाया जाता है।
देवता का प्रतिनिधित्व गूर करता है। विशेष ताल पर थेई थेई लेई लेई पर राक्षस खेल तथा देऊ खेल प्रदर्शित की जाती है जिसके अन्त में विजयी देवता होता है। उसी क्षेत्र में इस राक्षस का नाम टुण्डी बताते हैं जिसने मनाली से अरछण्डी तक आतंक मचाया था।
जनश्रुति अनुसार मनु महाराज ने शांडिल्य मुनि की सहायता से उसे समाप्त कर दिया। इसलिये पहला फागली मेला मनु मन्दिर में होता है और अन्तिम शांडल देवता के स्थान शालीण में होता है। निचले क्षेत्र में कोटलू की फागली प्रसिद्ध है। अन्य स्थानों में भी देव शक्ति का आसुरी शक्ति पर विजय के रूप में यह त्यौहार मनाया जाता है।
Faagali Fair of District Kullu-Himachal Pradesh
Read Also : Art and Culture Of Himachal Pradesh
- AIIMS Bilaspur Assistant Professor, Associate Professor Recruitment 2025
- HPU Shimla All Latest Notifications -August 2025
- HP Transport Department Steno Typist And Judgment Writer Recruitment 2025
- Station HQ Yol Military Station Clerk, Manager And Other Posts Recruitment 2025
- CSIR IHBT Palampur Security Assistant And Driver Recruitment 2025