1773 Regulating Act in Hindi | रेगुलेटिंग एक्ट 1773 की विशेषताएं
भारत में ब्रिटिश 1600 ई. में ईस्ट इंडिया कंपनी के रूप में व्यापार करने आए थे। 1765 में बंगाल, बिहार और उड़ीसा के दीवानी अधिकार प्राप्त किए। इसके तहत उसके भारत में क्षेत्रीय शक्ति बनने की प्रक्रिया शुरू हुई। 1765 से 1772 तक कम्पनी के पास अधिकार थे लेकिन कोई जिम्मेदारी नहीं थी। जबकि इसके भारतीय प्रतिनिधियों के पास सभी ज़िम्मेदारियाँ थीं लेकिन कोई अधिकार नहीं था। ब्रिटिश सरकार द्वारा अनेक अधिनियम पेश किए। 1773 का रेगुलेटिंग एक्ट, 1784 का पिट्स इंडिया एक्ट, 1833 का चार्टर अधिनियम, 1858 का भारत शासन अधिनियम आदि।
1773 के रेगुलेटिंग एक्ट की विशेषताएं :
- इस अधिनियम द्वारा बंगाल के गवर्नर को “बंगाल का गवर्नर जनरल पद नाम दिया गया एवं उसकी सहायता के लिए एक चार सदस्यीय कार्यकारी परिषद का गठन किया गया । उल्लेखनीय है कि ऐसे पहले गवर्नर लॉर्ड वारेन हेस्टिंग्स थे।
- इसके द्वारा मद्रास एवं बंबई के गवर्नर, बंगाल के गवर्नर जनरल के अधीन हो गये, जबकि पहले सभी प्रेसिडेंसियों के गवर्नर एक दूसरे से अलग थे।
- अधिनियम के अंतर्गत कलकत्ता में 1774 में एक उच्चतम न्यायालय की स्थापना की गई, जिसमें मुख्य न्यायाधीश और तीन अन्य न्यायाधीश थे।
- इसके तहत कंपनी के कर्मचारियों को निजी व्यापार करने और भारतीय लोगों से उपहार व रिश्वत लेना प्रतिबंधित कर दिया गया।
- इस अधिनियम के द्वारा, ब्रिटिश सरकार का ‘ कोर्ट ऑफ डायरेक्टर्स’ ( कंपनी की गवर्निंग बॉडी) के माध्यम से कंपनी पर नियंत्रण सशक्त हो गया। इसे भारत में इसके राजस्व, नागरिक और सैन्य मामलों की जानकारी ब्रिटिश सरकार को देना आवश्यक कर दिया गया।
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