Important Questions for HPS Allied Services Mains (GS Paper-1) – XVI
- 1929 में गठित हार्टोग समिति का संबंध निम्नलिखित में से किससे था?
A) शिक्षा
B) न्याय व्यवस्था
C) सिविल सेवा
D) उपरोक्त में से कोई भी नहीं
उतर :- A) शिक्षा
व्याख्या :- हार्टोग समिति का गठन 1929 ई. में ‘भारतीय परिनीति आयोग’ ने सर फ़िलिप हार्टोग के नेतृत्व में किया था। शिक्षा के विकास पर रिपोर्ट प्रस्तुत करने हेतु इस समिति का गठन किया गया था। हर्टोग समिति ने प्राथमिक शिक्षा के महत्व की बात कही थी।
1.माध्यमिक शिक्षा के बारे में समिति ने मैट्रिक स्तर पर विशेष बल दिया।
2.ग्रामीण अंचलों के विद्यालयों को समिति ने वर्नाक्यूलर मिडिल स्तर के स्कूल पर ही रोक कर उन्हें व्यावसायिक या फिर औद्योगिक शिक्षा देने का सुझाव दिया।
3.विश्वविद्यालयों में किये गये अनुपयोगी प्रवेशों से शिक्षा का स्तर गिर रहा था। इसलिए समिति ने विश्वविद्यालय को अपने सुझाव दिए।
4.सुझाव में कहा गया था कि विश्वविद्यालय ऐसे ही छात्र को प्रवेश दे एवं उसके लिए उच्च शिक्षा की व्यवस्था करे, जो उसके योग्य हों।
- वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट 1878 के संबंध में निम्नलिखित तथ्यों पर विचार करें:-
1.इस अधिनियम के तहत समाचार पत्रों को न्यायलय में अपील करने का कोई अधिकार नहीं था।
2.वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को ‘मुंह बन्द करने वाला अधिनियम’ भी कहा गया है।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनो
D) न तो 1 और न तो 2
उतर-:C) 1 और 2 दोनो
व्याख्या :- वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट वाइसराय लिटन द्वारा 1878 ई. में पास हुआ था। इस एक्ट ने भारतीय भाषाओं में प्रकाशित होने वाले सभी समाचार पत्रों पर नियंत्रण लगा दिया। किंतु यह एक्ट अंग्रेज़ी में प्रकाशित होने वाले समाचार पत्रों पर लागू नहीं किया गया। इसके फलस्वरूप भारतीयों ने इस एक्ट का बड़े ज़ोर से विरोध किया।
1.’वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट’ तत्कालीन लोकप्रिय एवं महत्त्वपूर्ण राष्ट्रवादी समाचार पत्र ‘सोम प्रकाश’ को लक्ष्य बनाकर लाया गया था।
2.दूसरे शब्दों में यह अधिनियम मात्र ‘सोम प्रकाश’ पर लागू हो सका।
3.लिटन के वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट से बचने के लिए ‘अमृत बाज़ार पत्रिका’ (समाचार पत्र), जो बंगला भाषा की थी, अंग्रेज़ी साप्ताहिक में परिवर्तित हो गयी।
4.सोम प्रकाश, भारत मिहिर, ढाका प्रकाश और सहचर आदि समाचार पत्रों के ख़िलाफ़ भी मुकदमें चलाये गये।
5.इस अधिनियम के तहत समाचार पत्रों को न्यायलय में अपील करने का कोई अधिकार नहीं था।
6.वर्नाक्यूलर प्रेस एक्ट को ‘मुंह बन्द करने वाला अधिनियम’ भी कहा गया है।
7.इस घृणित अधिनियम को लॉर्ड रिपन ने 1882 ई. में रद्द कर दिया।
- देसी रियासतों को प्रतिनिधित्व प्रदान करने के लिए किस वर्ष नरेंद्र मंडल की स्थापना हुई थी?
A) 1821
B) 1858
C) 1919
D) 1921
उतर-:D) 1921
व्याख्या :- नरेन्द्र मण्डल संस्था की स्थापना माण्टेगू चेम्सफ़ोर्ड रिपोर्ट की सिफ़ारिशों के अनुसार तथा शाही ऐलान के द्वारा 8 फरवरी 1921 ई. को हुई थी।
1.भारतीय देशी रियासतों के विभिन्न प्रतिनिधि शासक नरेन्द्र मण्डल के सदस्य थे।वाइसराय इसका अध्यक्ष होता था और हर साल राजाओं में से इसके चांसलर और प्रोचांसलर का चुनाव होता था।
2.नरेन्द्र मण्डल सिर्फ़ एक सलाहकार संस्था थी और इस संस्था को कार्यकारी अधिकार प्राप्त नहीं थे।
3.वाइसराय इस संस्था से उन सभी मामलों में परामर्श ले सकता था, जिनसे ब्रिटिश भारत और देशी रियासत, दोनों का ही सम्बन्ध होता था।
4.नरेन्द्र मण्डल संस्था रियासतों और उनके शासकों के आंतरिक मामलों या ब्रिटेन के बादशाह से उनके सम्बन्धों, या रियासतों के वर्तमान अधिकारों या विवाह सम्बन्धों में हस्तक्षेप नहीं कर सकता था और न ही उनकी कार्य स्वतंत्रता पर अंकुश ही लगा सकता था।
5.नरेन्द्र मण्डल की स्थापना का उद्देश्य देशी रियासतों को ब्रिटिश भारतीय सरकार तथा नयी राष्ट्रीय विचारधारा के निकट सम्पर्क में आना था।
6.नरेन्द्र मण्डल संस्था बहुत कारगर सिद्ध नहीं हुई। परिस्थितियों वश इसकी उपयोगिता सिर्फ़ इतनी ही रही कि उसने सम्पूर्ण भारत के लिए आज की तरह की संघीय सरकार की स्थापना के लिए रास्त साफ़ कर दिया।
- निम्न तथ्यों पर विचार करें
1.इंग्लैंड की महारानी से ईस्ट इंडिया कंपनी द्वारा भारत के साथ व्यापार के लिए चार्टर हासिल करने का मुख्य उद्देश्य बाकी व्यापारिक कंपनियों से प्रतिस्पर्धा से बचना था।
2.पुर्तगालियों का आगमन भारत में अंग्रेजों से पहले हो चुका था।
उपरोक्त में से कौन सा/से कथन सत्य है/हैं?
A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनो
D) न तो 1 और न तो 2
उतर :- C) 1 और 2 दोनो
व्याख्या :- 1.सन् 1600 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने इंग्लैण्ड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम से चार्टर अर्थात् इज़ाज़तनामा हासिल किया, जिससे कंपनी को पूरब से व्यापार करने का एकाधिकार मिल गया।
2.इसका अर्थ था कि इंग्लैण्ड की कोई और व्यापारिक कंपनी इस इलाके में ईस्ट इंडिया कंपनी से होड़ नहीं कर सकती थी, लेकिन यह शाही दस्तावेज़ दूसरी यूरोपीय ताकतों को पूरब के बाज़ारों में आने से नहीं रोक सकता था।
3.इस काल खंड में यूरोप के बाज़ारों में भारत के बने बारीक सूती कपड़े और रेशम की जबरदस्त मांग थी। इसके अलावा काली मिर्च, लौंग, इलायची और दालचीनी की भी जबरदस्त मांग रहती थी।
4.पुर्तगाली अंग्रेज़ों से पहले भारत आए और इस समय तक उन्होंने भारत के पश्चिमी तट पर अपनी उपस्थित दर्ज करा दी थी। वे गोवा में अपना ठिकाना बना चुके थे।
- ईस्ट इंडिया कंपनी को बंगाल की दीवानी प्राप्त होने के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः-
1.बक्सर के युद्ध के बाद बंगाल के नवाब ने कंपनी को बंगाल का दीवान नियुक्त कर दिया।
2.बंगाल की दीवानी मिलने के बाद व्यापार की चीज़ें खरीदने के लिये कंपनी को ब्रिटेन से सोना लाने की ज़रूरत नहीं रही।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है/हैं?
A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनो
D) न तो 1 और न तो 2
उतर-:B) केवल 2
व्याख्या :- 12 अगस्त, 1765 को मुगल सम्राट ने कंपनी को बंगाल का दीवान नियुक्त किया था न कि बंगाल के नवाब ने, अतः कथन 1 गलत है। दीवानी मिलने के कारण कंपनी को बंगाल के विशाल राजस्व संसाधनों पर नियंत्रण मिल गया।उस समय तक कंपनी को भारत में ज़्यादातर चीज़ें ब्रिटेन से लाए गए सोने और चांदी के बदले खरीदनी पड़ती थीं,क्योंकि उस समय ब्रिटेन के पास भारत में बेचने के लिये कोई चीज़ नहीं थी।
प्लासी की जंग के बाद ब्रिटेन से सोने की निकासी कम होने लगी थी और बंगाल की दीवानी मिलने के बाद तो ब्रिटेन से सोना लाने की ज़रूरत ही नहीं रही। अतः कथन 2 सही है। अब भारत से होने वाली आमदनी से ही कंपनी अपने खर्चे चला सकती थी।
- लार्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम भारतीय शासक कौन था?
A) हैदराबाद के निज़ाम
B) अवध के नबाव
C) पेशवा बाजीराव द्धितीय
D) ग्वालियर के सिंधिया
उतर-:A) हैदराबाद के निज़ाम
व्याख्या :- 1.लार्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार करने वाला प्रथम भारतीय शासक हैदराबाद के निज़ाम था। निजाम ने सन् 1798 में लार्ड वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया था।अवध के नबाव ने नबम्वर 1801 मे, पेशवा बाजीराव द्धितीय ने दिसम्बर 1801, मैसूर तथा तंजौर ने 1799 में, बरार के भोसलें ने दिसम्बर 1803 में तथा ग्वालियर के सिंधिया ने फरवरी 1804, वेलेजली की सहायक संधि को स्वीकार किया।
2.सहायक संधि वास्तव में किसी भी राज्य की संप्रुभता को छीनने वाला दस्तावेज था जिसके तहत राज्य को स्वयं अपनी रक्षा करने का, कूटनीतिक सम्बन्ध स्थापित करने का ,विदेशियों को नियुक्त करने का और यहाँ तक कि अपने पड़ोसी के साथ विवादों का समाधान करने का भी अधिकार प्राप्त नहीं था
3.कंपनी द्वारा भारतीय राज्यों पर कब्ज़े की प्रक्रिया में ‘सहायक संधि’ का प्रयोग किया गया, जिसके तहत इसे स्वीकार करने वाली रियासतें अपनी स्वतंत्र सेना नहीं रख सकती थीं। उन्हें कंपनी की तरफ से सुरक्षा मिलती थी और ‘सहायक सेना’ के रख-रखाव के लिये वे कंपनी को पैसा देती थीं।
4.अगर भारतीय शासक ये रकम अदा करने में चूक जाते थे तो जुर्माने के तौर पर उनका इलाका कंपनी अपने कब्ज़े में ले लेती थी। उदाहरण के लिये गवर्नर-जनरल वेलेजली (1789-1805) के समय अवध के नवाब को 1801 में अपना आधा इलाका कंपनी को सौंपने के लिये मज़बूर किया गया। इसी आधार पर हैदराबाद के भी कई इलाके छीन लिये गए।
- गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स के काल में हुए प्रशासनिक सुधारों के संदर्भ में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजियेः
1.वारेन हेस्टिंग्स ने प्रत्येक ज़िले में एक फौज़दारी तथा एक दीवानी अदालतों की स्थापना की।
2.1773 के रेग्युलेटिंग एक्ट के तहत एक सर्वोच्च न्यायालय के साथ-साथ कलकत्ता में अपीलीय अदालत-सदर निजामत अदालत- की स्थापना की गई।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से कथन सही है/हैं?
A) केवल 1
B) केवल 2
C) 1 और 2 दोनो
D) न तो 1 और न तो 2
उतर-:C) 1 और 2 दोनो
व्याख्या :-1.वारेन हेस्टिंग्स के समय तीन प्रेसीडेन्सियाँ (प्रशासनिक इकाइयाँ) बंगाल, मद्रास और बम्बई थीं। हर एक का शासन गवर्नर के पास होता था। सबसे ऊपर गवर्नर जनरल होता था। गवर्नर जनरल वारेन हेस्टिंग्स ने कई प्रशासकीय सुधार किये। न्याय के क्षेत्र में उसके सुधार खासतौर से उल्लेखनीय थे।
2.1772 में एक नई व्यवस्था के तहत उसने प्रत्येक ज़िले में दो अदालतों एक फौज़दारी और एक दीवानी अदालत की स्थापना की। दीवानी अदालतों के मुखिया यूरोपीय ज़िला कलेक्टर होते थे। फौज़दारी अदालतें अभी भी काजी (एक न्यायाधीश) और मुफ्ती (मुस्लिम समुदाय का एक न्यायविद् जो कानूनों की व्याख्या करता है) के ही अंतर्गत थीं, लेकिन वे भी कलेक्टर की निगरानी में काम करते थे।
3.1773 के रेग्यूलेटिंग एक्ट के तहत एक सर्वोच्च न्यायालय (1774 में) की स्थापना की गई। इसके अलावा कलकत्ता में अपीलीय अदालत सदर निजामत अदालत की भी स्थापना की गई।
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