Audumbar Ganrajya | औदुम्बर गणराज्य – हिमाचल प्रदेश का प्राचीन गणराज्य
औदुम्बर गणराज्य हिमाचल प्रदेश का प्राचीन जनपदों में से एक है। इसका वर्णन महाभारत, पाणिनि के गण पाठ , और विष्णु पुराण में मिलता है। विष्णु पुराण में त्रिगर्त अथवा कुणिंद जाति के साथ इनका उल्लेख मिलता है। पाणिनि के अनुसार औदुम्बर जालंधर के आसपास का क्षेत्र था परन्तु वृहत्संहिता में उन्हें मध्य देश के निवासी बताया गया। औदुम्बर अपने को अपने को ऋग्वेद के तीसरे सूक्त के रचयिता विश्वामित्र के वंशज मानते थे। औदुंबर प्राचीन शल्व जाति की छः श्रेणियों में से एक थे।
औदुम्बर की मुद्राएँ व्यास और रावी नदी के ऊपरी घाटियों में पाए गए हैं, जिससे ये लगता है कि यही क्षेत्र औदुंबरो का रहा होगा। पठानकोट व नूरपुर आदि क्षेत्र भी औदुंबरो में शामिल थे। राजन्यादिगण में औदुंबर देश के क्षत्रियों को औदुंबरक कहा जाता है।
मुद्राएं :
औदुंबरों ने अनेक प्रकार की मुद्राएँ भी चलाई थी। पठानकोट ज्वालामुखी, हमीरपुर आदि स्थानों पर इस गणराज्य की मुद्राएँ मिली है। यहाँ मुद्राएँ तीन प्रकार की प्राप्त हुई हैं।
तांबे की मुद्राएं :
सबसे पहले बनाई गई मुद्राएँ तांबे की चौकोर हैं। इन मुद्राओं में ब्राह्मी तथा खरोष्ठी लिपि में लिखा गया हैं। मुद्राओं में राजा के नाम के साथ-साथ गण (औदुंबर) का नाम भी मिलता है। इन पर शिवदास, रुद्रदास, महादेव और धराघोष चार राजाओं के नाम मिलते हैं। इन मुद्राओं के आगे के घेरे में वृक्ष तथा हाथी का चित्र खरोष्ठी लिपि में महादेव रानो उपाधि के साथ ऊपर राजाओं के नाम मिलते हैं। पिछले भाग में दो मंजिल ईमारत , त्रिशूल, ब्राह्मी में भी उपाधिसहित राजाओं के नाम मिलते हैं।
चाँदी की मुद्राएँ :
चाँदी की मुद्राओं में राजा धराघोष राजा की आकृति अंकित है। इन मुद्राओं में एक ओर मनुष्य की आकृति है जिसके कंधे पर शिव की मूर्ति है और साथ ही खरोष्ठी में “मह देवस राजो धर घोषस औदुंबरिस ” लिखा है। राजा के नाम के अतिरिक्त निचले भाग के घेरे में वृक्ष तथा त्रिशूल बना है। एक दूसरे प्रकार की चांदी की मुद्रा में महादेव की आकृति, हाथी तथा त्रिशूल बनाये हैं। इस मुद्रा पर “विजय रानो वेमकिस रुद्रवर्मनस” उल्लिखित है।
गोल ताम्बे की मुद्राएँ :
इन मुद्राओं पर घेरे में वृक्ष ,हाथी ,त्रिशूल आदि के चिन्ह अंकित है जो औदुम्बर मुद्राओं से मिलते हैं। इन मुद्राओं में दो मंजिल मंदिर की आकृति भी दिखाई पड़ती है। इन मुद्राओं में खरोष्ठी तथा ब्राह्मी लिपियों में राजाओं के नाम लिखे गए हैं।
आय का साधन :
औदुंबरों की समृद्धि का पता उनकी बहुसंख्या में पाई गई मुद्राओं से लगता है। औदुंबरों का देश गंगा के मैदान से मध्य-एशिया को जाने वाले व्यापार मार्ग पर स्थित था। स्थानीय उधोगों से औदुंबर लोग बहुत समृद्ध हो गए थे। भेड़ पालन एक बहुत बड़ा व्यवसाय था। यहां की ऊन उच्च कोटि की समझी जाती थी। ऊन का सामान तैयार कर वे अच्छा धन कमाते थे।
धर्म :
औदुंबरो की मुद्राओं में त्रिशूल अंकित किये गए हैं , जिससे ज्ञात होता है कि वे शैव मतानुयायी थे।
औदुंबर के राजा :
औदुंबरों की मुद्राओं पर शिव दास, रुद्रदास , महादेव ,धराघोष ,रूद्रवर्मा , आर्य मित्र , महिमित्र और महाभूति मित्र राजाओं के नाम मिलते हैं। एक मुद्रा पर विश्वामित्र का उल्लेख भी मिलता है। इन राजाओं में महादेव बड़ा शक्ति शाली राजा था। जिसने मथुरा के उत्तमदत्त नामक राजा पर विजय पाई थी। राजा धराघोष महादेव का उपासक था।
Audumbar Ganrajya | औदुम्बर गणराज्य – हिमाचल प्रदेश का प्राचीन गणराज्य
इसे भी पढ़ें : कुल्लुत जनपद – हिमाचल का प्राचीन जनपद
- NIT Hamirpur Assistant Professor Recruitment 2023
- HPPSC Shimla Assistant Professor (CC) Home Science Result 2023
- JBT Appointment Order (2nd Waiting List) -DDEE Una
- UPSC Civil Services (Prelims) Recruitment 2023 : Apply Online
- Daily Current Affairs in Hindi -02 February 2023