Brief Geography of District Bilaspur – HP

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Bilaspur Source

मुख्यालय – बिलासपुर (समुद्रतल से ऊँचाई 610 मीटर)
कुल क्षेत्रफल – 1167 वर्ग किलामीट
भाषाएं- बिलासपुरी (कहलूरी) हिंदी, पंजाबी इत्यादि।

जिला बिलासपुर 31°12’30” व 31°35’45” डिग्री उत्तरी आक्षांश तथा 76°23’45” व 76°55’40” पूर्वी देशातर पर बाहरी या निचले हिमालय में स्थित है। यह हिमाचल के दक्षिण पश्चिम में स्थित है। उत्तर में इसकी सीमा मंडी व हमीरपुर जिला से, उतर -पश्चिम में ऊना जिला, पश्चिम में पुंजाब , दक्षिण में सोलन का नालागढ़ क्षेत्र तथा पूर्व दक्षिण-पूर्व में सोलन व मंडी जिला स्थित हैं। बिलासपुर जिला सतलुज नदी के दोनों किनारों पर स्थित है तथा सदूर पूर्व में यह नदी जिला मंडी के साथ सीमा निर्धारित करती है।

इस जिला की पूर्व से पश्चिम तक की लम्बाई 51 किलोमीटर तथा उत्तर से दक्षिण की चौड़ाई 43 किलोमीटर है।

बिलासपुर जिला की मुख्य पर्वत श्रृंखलाएं


(सात धाराएं ) नयना देवी धार, कोटधार, जॉझियार धार, त्यून धार, बांदलाधार, बहादुरपुर धार व रत्नपुर धार। Brief Geography of District Bilaspur – HP
नयना देवी धार (NAINA DEVI HILLS) :(कुल लम्बाई 30 किलो मीटर) इस श्रृंखला पर सुप्रसिद्ध मंदिर मां नयना देवी स्थित है जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 1100 मीटर है। इस धार पर ही कोट कहलूर व फतेहपुर किला (जहाँ कई छोटेकिले भी हैं।)
कोट धार (KOT HILLS): इस धार में ही प्रसिद्ध किले बछरेटू, वसीहा, नौण या शिवाला बछरेटू कोट और दगोगा मलोट स्थित हैं। यहाँ की सबसे ऊँची चोटी ककरेर की समुद्रतल से ऊँचाई 1430 मीटर है।
झाझियार धार (JHANJIAR HILLS): सीर खड्ड इस श्रृंखला को दो भागो में बांटती है- दक्षिण भाग को ‘बदोल’ तथा उतरी को जांझियार कहते हैं। इस धार की सबसे ऊँची चोटी जांझियार ही हैं. जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 1100 मीटर है। यहाँ पर देवी भड़ोली तथा गूगा गेहड़वीं का मंदिर है।
त्यून धार (TIUN HILLS): इस श्रृंखला सबसे ऊँची चोटी सरयूँ चोटी है। जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 1350 मीटर है। यहाँ पर सरयूँ नीरानगढ़ व त्यून का किला तथा पीरव्याणू, हरम्बा देवी तथा सिद्ध गुरुनाथ के मंदिर स्थित हैं।
बंदला धार (BANDLA HILLS): लम्बाई 17 किलोमीटर इस श्रृंखला की चोटी की समुद्रतल से। अधिकतम ऊँचाई 1375 मीटर हैं।
बहादुरपुर धार (BAHADURPUR HILLS): इस श्रृंखला को अलीखड्ड दो हिस्सों में बांटती है। बहादुरपुर किला इसी श्रृंखला में स्थित है, जिसकी समुद्रतल से ऊँचाई 1980 मीटर है। यह किला, कहलूर के राजा विजय चंद का ग्रीण्मकालीन विश्राम स्थल था ।
रत्नपुर धार (RATTANPUR HILLS): इस पहाड़ी पर रतनपुर किला स्थित है । इसी किले में अंग्रेज जनरल आक्टरलोनी ने गोरखा कमांडर अमर सिंह थॉपा को हराया था।

जिला बिलासपुर में तीन प्रमुख घाटियां हैं-

संतलुज घाटी (THE SATLUU VALLEY): सतलुज नदी जिला बिलासपुर में लगभग 90 किलोमीटर का रास्ता तय करती है जहाँ यह कसोल कस्बे में जिला में प्रवेश कर तथा ‘नैला’ गांव में जिला को छोड़कर पंजाब राज्य में प्रवेश करती है। सतलुज घाटी में कई प्रकार की वनस्पति व वन्य जीव पाए जाते हैं।
चैंतो घाटी (CHAUNTO VALLEY): भाखड़ा बांध के साथ लगती13 किलो मीटर लम्बी यह घाटीअपनी उर्वरा मिट्टी के लिए प्रसिद्ध है।
दानवीं घाटी (THE DANWIN VALLEY): यह घाटी बहादुरपुर व बांदला घाटी के मध्य स्थित 10 किलो मीटर लम्बी व पाँच किलोमीटर चौड़ी है।

नदियाँ व खड्डें

सतलुज : बिलासपुर जिला की मुख्य नदी सतलुज है, जो किन्नौर, शिमला तथा मंडी जिला में बहने का उपरांत कसोल गाँव के समीप बिलासपुर जिला में प्रवेश कर तथा कोट कहलूर परगना में गाव नैला में प्रदेश को छोड़ पंजाब राज्य में प्रवेश करती है । अलीखड्ड ,गंभर और सीरखड्ड सतलुज की प्रमुख सहायक नदियां है।
अलीखड : यह खड्ड जिला सोलन की अर्की तहसील के गांव मंगू गियाना से निकल कर बिलासपुर जिला के कोठी हरार व मनोठी गांव में आकर मिलती है। अलीखड्ड ‘वेरी घाट’ अस्थान पर सतलुज नदी में मिलती है।
गम्बर खड: यह सतलुज नदी की सहायक खडड् है। यह जिला शिमला की तारा देवी से निकलकर जिला बिलासपुर के रत्नपुर परगना के गांव नेरी में आकर जिले में प्रवेश करती है।गम्बर खडड् ‘डगरान’ गांव के पास सततलुज नदी में मिलती है।
सीर खडः यहू खडड् सतलुज की सबसे बड़ी सहायक खड्ड है। जिसका उद्गम स्थल जिला मंडी में है। जिला हमीरपुर से निकलने वाली सुकर व सरयाली खड्ड ‘बालघर ‘ में सीर खड्ड में मिलती हैं। सीर खडड् हटवाड़ कस्बे के समीप बिलासपुर जिला में प्रवेश करती है तथा ‘सेरी’ गांव के समीप सतलुज नदी में मिलती है।

टैंक /टोबा : बिलासपुर जिला में कुछ प्रसिद्ध हौज है, जिन्हें सामान्य सामान्य बोल चाल की भाषा में टोबा भी कहा जाता है । इसमें प्रसिद्ध हैं-
1.हौज रिवाल्सरः यह हौज पनोट गांव के समीप है।
2.जगतखाना हौज: यह टैंक लगभग 200 वर्ग मीटर में अवस्थित है। इस टैंक का निर्माण सन 1874 ईस्वी में तत्कालीन राजा हीरा चंद ने करवाया था, जब राज्य में भीषण अकाल पड़ा था।
3.स्वारघाट हौज: इस टैंक का क्षेत्रफल 350 वर्गमीटर है तथा इसका निर्माण भी राजा हीरा चंद ने सन् 1874 में ही करवाया था।
4.नयना देवी होज: इस हौज का क्षेत्रफल लगभग 1200 वर्ग मीटर है, जो मां नयनादेवी मंदिर केसमीप स्थित है।
5.जम्ठाल होजः बिलासपुर के उतर में लगभग 25 किलोमीटर की दूरी पर यह टैंक 1000 वर्ग मींटर में विस्तृत है।
6.कसोल हौज: इस टैंक का क्षेत्रफल 200 वर्गमीटर है।
7.संघवाना हौज (टोवा कौलां वाला): इस टैंक का निर्माण राजा विजय चंद ने करवाया था। जिसका क्षेत्रफल 17,600 वर्ग मीटर है।

जलप्रपात /चश्में : ददरना , बस्सी।

झील : बिलासपुर जिले में कोई प्राकृतिक झील नहीं है। बिलासपुर में गोविंदसागर जिले है जो हिमाचल प्रदेश की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। भाखड़ा बांध के निर्माण से इस झील का निर्माण हुआ है। इस झील का क्षेत्रफल 168 वर्ग किलोमीटर है। बांध की आधारशिला 1955 ई में पंडित जवाहर लाल नेहरू ने रखी है इस बांध की उंचाई 225 मीटर है। यह बांध 1963 ई में बनकर तैयार हुआ। इस बांध बनने की बजह से 256 गाँव जलमग्न हो गए थे।

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