Brief Geography of District Kullu -Himachal Pradesh
कुल्लू
मुख्यालय :कुल्लू (समुद्रतल से ऊंचाई -1219 मीटर )
भाषाएँ :कुल्लवी व हिंदी
कुल क्षेत्र : 5503 वर्ग किलोमीटर
भौगोलिक स्थिति :
कुल्लू हिमाचल प्रदेश के मध्य भाग में स्थित जिला है। यह 31°21’ से 32°25’ उत्तरी अक्षांश और 76°55’ से 76°50’ पूर्वी देशांतर के बीच स्थित है। उतर तथा उत्तर -पूर्व में इसकी सीमा लाहौल स्पीति व काँगड़ा से ,पूर्व तथा दक्षिण पूर्व में किनौर व शिमला जिला से लगती है।
कुल्लू की सात बजीरी
रजवाड़ाशाही के दिनों में इस रियासत का भू -भाग ऊपरी ब्यास घाटी में रोहतांग से बजौरा ,लाहौल व सतलुज घाटी का कुछ क्षेत्र मिलाकर कुल सात बजीरी (प्रान्त ) बनती थी -ये है –
(1) वजीरी परोल -(कुल्लू विशेष)
(2) वजीरी रूपी – ब्यास नदी के बाईं ओर का पार्वती व सैंज नदियों के बीच का क्षेत्र पार्वती घाटी का ऊपरी क्षेत्र जिसे ‘कनावर ‘ के नाम से जाना जाता है।
(3) वजीरी लाग महाराज – सरवरी खड्ड के दाईं ओर का क्षेत्र ,सुल्तानपुर तथा ब्यास से बजौरा तक
(4) वजीरी सराज – राज्य का उत्तरी क्षेत्र जलोड़ी जोत जो आंतरिक व वाह्य सिराज में विभाजित है।
(5) वजीरी लांग सारी –ब्यास नदी के दाईं ओर का क्षेत्र फोजल और सरवरी खड्डों के मध्य स्थित है।
(6) वजीरी वंगाहल -छोटा वंगाहल का क्षेत्र।
(7) वजीरी लाहुल – लाहुल घाटी का दक्षिणी पूर्वी खंड
कुल्लू के पश्चिम में बड़ा भंगाल श्रृंखला है जो इसे कांगड़ा से पृथक करती है। दक्षिण में धौलाधार पर्वत है जो वाह्य हिमालय का भाग है। उत्तर पूर्व में मध्य हिमालय की पर्वत शृंखला है जो इसे लाहौल घाटी से अलग करती है। कुल्लू 1962 तक काँगड़ा का उपमंडल था तथा 1963 में यह जिला बना। कुल्लू जिला की सबसे ऊँची चोटी डिब्बी बोकरी (6400 मीटर ) है ,इन्द्रासन (6220 मीटर ), देऊ टिब्बा (6001मीटर ) है।
नदियां :
कुल्लू जिला की प्रमुख नदी ब्यास है। यह ब्यास कुंड से निकलती है। भुंतर में इसके साथ पार्वती नदी मिलकर एक बड़ी नदी का रूप धारण करती है। इसकी सहायक नदियां सोलंग ,मनालसू ,फोजल ,अलिनि ,छाकी ,सरवरी ,पार्वती ,सैंज ,तीर्थन ,हारला ,आदि है। सतलुज नदी भी कुल्लू जिले की एक प्रमुख नदी है जो कुल्लू और शिमला जिले की सीमा बनाती है। आउटर सिराज की नदियां ‘आनी ‘ तथा कुर्पन ‘ सतलुज नदी में मिलती है।
तीर्थन नदी लारजी के पास व्यास में मिलती है। सैंज नदी भी लारजी के पास व्यास नदी में मिलती है। हारला नदी भुंतर के पास व्यास में मिलती है। सरवरी नदी कुल्लू के पास व्यास नदी में मिलती है
झीलें :
भृगुसर: – यह झील मनाली से दस किलोमीटर दूर स्थित है। इसके किनारे ऋषि भृगु की तपस्थली थी।
दशाहर झील :– यह झील मनाली से 25 किलोमीटर दूर है और रोहतांग से 6 किलोमीटर दूर है। यह 4200 मीटर ऊंचाई पर स्थित है।
सरीताल :- यह झील सरी जोत पर स्थित है। इसकी ऊंचाई 14000 फीट है। इसके निकट से सरवरी नदी निकलती है। यह लग घाटी के अंतिम छोर पर है। जिसके दूसरी और मण्डी तथा बड़ा भंगाल के क्षेत्र आरम्भ होते है।
सरयोलसर :- यह जलोड़ी जोत के दक्षिण-पूर्व में थोड़ी दूरी पर स्थित है। इसकी ऊंचाई 3135 मीटर है।
व्यास कुण्ड: –यह सोलंग नाला से 14 किलोमीटर तथा रोहतांग से 8 किलोमीटर दूर स्थित है। इसके किनारे व्यास ऋषि ध्यान करते थे। इसकी ऊंचाई 3540 मीटर है।
मानतलाई झील :- यह पार्वती नदी का उदगम स्त्रोत है। यह मणिकर्ण घाटी की सीमा में स्थित है। इसकी ऊंचाई 16000 फीट है।
दयोरी झील :- यह सैंज घाटी में है।
हंसा झील :- इस झील के पास दो झीले हैं। इन्हे हंसो के जोड़े के समान माना गया है।
कुल्लू जिला के झरने /चश्मे :
राहला जल प्रपात :- यह मनाली से 15 किलोमीटर दूर स्थित है।
मणिकर्ण :- यह पार्वती नदी के दाएं किनारे में स्थित है। इसका पानी बहुत गर्म है।
वशिष्ट :- यह व्यास नदी के बाएं किनारे पर स्थित है। यह मनाली से 6 किलोमीटर दूर स्थित है। पानी से गंधक की बू आती है। गर्म जल कड़ी चट्टानों के नीचे से निकलता है।
कसोल :- यह पार्वती नदी के किनारे स्थित है। इसका जल भी गर्म है।
खीर गंगा :- यह मणिकर्ण से 20 किलोमीटर दूर स्थित है। गंधक के कारण पानी गर्म तथा चिकना होता है।
कलथ :-व्यास नदी के दाएं किनारे और मनाली से 4 किलोमीटर दूर स्थित है।
बैहना :- सतलुज के किनारे लुहरी के निकट आनी लुहरी सड़क पर स्थित है। यहां गुनगुना पानी है।
कुल्लू जिला के दर्रे :
रोहतांग दर्रा : इसकी ऊंचाई 4934 मीटर है। यह लाहौल और कुल्लू घाटी को जोड़ता है।
मानतलाई जोत : यह स्पीति तथा मणिकर्ण को जोड़ती है। इसकी ऊंचाई 16000 फ़ीट है
हामटा जोत : यह स्पीति तथा कुल्लू के बीच स्थित है। यह मनाली से 23 किलोमीटर दूर है।
मनाली जोत : यह बड़ा भंगाल और मनाली को जोड़ता है। इसकी ऊंचाई 4200 मीटर है।
चंद्रखणी जोत : यह 12000 फीट ऊँचा है। नग्गर से 6 किलोमीटर दूर है। यह मलाणा तथा नग्गर घाटी को मिलाता है।
सरी जोत : यह कुल्लू और बड़ा भंगाल के क्षेत्र के बीच है। इसकी ऊंचाई 15108 मीटर है।
भुभु जोत : यह 9480 मीटर ऊंचाई पर स्थित है। काला नमक गम्मा से इसी जोत से लाते थे।
दुलची जोत : इसकी ऊंचाई 2788 मीटर है। यह बजौरा तथा मण्डी को मिलाता है।
जलोड़ी जोत : यह आनी तथा बंजार घाटी को जोड़ता है। इसकी ऊंचाई 3135 मीटर है।
फ़ांगची जोत : यह सैंज घाटी तथा गड़सा घाटी को जोड़ता है।
बशलेउ जोत : इसकी ऊंचाई 3150 मीटर है। यह जोत निरमंड और गौशैणी घाटी को जोड़ता है।
कुल्लू जिला के हिमनद :
पार्वती हिमनद : पार्वती हिमनद पार्वती नदी का स्रोत है। यह 1.5 किलोमीटर लम्बा है।
दुधन हिमनद : यह अलिनी नदी का स्त्रोत है
सोलंग ढलाने एशिया की सर्वोत्तम स्की ढलान है। इनकी ऊंचाई 8000 फीट है। ये मनाली से 13 किलोमीटर दूर , बोही धारा की ओट में है।
हामटा से सुरतु जाते हुए ‘बाग़ द्वारा गुफाएं ‘ आती है। ये प्राकृतिक गुफाएं हैं।
भनारा जाते हुए ‘अर्जुन गुफा‘ मिलती है।
Brief Geography of District Kullu -Himachal Pradesh
Read Aslo : Brief Geography of District Kinnaur
- SBI Circle Based Officers (CBO) Recruitment 2025 -Apply Online
- Union Bank of India Assistant Manager Recruitment 2025 -Apply Online
- HPU Shimla All Latest Notifications -May 2025
- HP Bulk Drug Park Una Technical Experts Recruitment 2025 -Notification Out
- Bank of Baroda Office Assistant (Peon) Recruitment 2025 -Apply Online