Brief History of District Una -Himachal Pradesh | ऊना जिला का इतिहास
‘ऊना’ हिमाचल प्रदेश के दक्षिण -पश्चिम में स्थित है। ऊना जिला मुख्यतः जसवां रियासत और कुटलैहड़ रियासत के अंतर्गत आता था। पूर्व में दोनों रियासतें काँगड़ा रियासत के हिस्सा था।
जसवां रियासत
ऊना जिले का अधिकतर भाग जसवां रियासत के अंतर्गत आता था जो कि काँगड़ा रियासत की प्रशाखा थी। जसवां रियासत की स्थापना काँगड़ा के कटोच वंश के राजा पूर्व चंद ने 1170 ई. में की थी। इसकी राजधानी अम्ब के पास राजपुर में स्थित थी।
प्रथम राजा पूर्व चंद से लेकर अंतिम राजा उम्मेद सिंह तक 27 शासकों ने जसवां रियासत में शासन किया। जसवां रियासत काँगड़ा से टूटकर बननेवाली पहली रियासत थी। इस रियासत के उत्तर में सिब्बा और दत्तारपुर तथा पूर्व में काँगड़ा, कुटलैहड़ और कहलूर राज्य स्थित थे ।
मुगल काल में अकबर के समय जसवां रियासत मुगलों के अधीन आ गई। उस समय जसवा का राजा गोविंद चंद्र था । गोविंद चंद के पोते अनिरुद्ध चंदने दो बार मुगलों के विरुद्ध विद्रोह किया ।
संसार चंद के आक्रमण के समय जसवां संसार चंद के कब्जे में आ गया। संसार चंद के विरुद्ध उमेद चंद ने गोरखों का साथ दिया था । जसवां रियासत पर 1815 ईसवी में सिक्खों ने कब्जा कर लिया है। 1848 ई. में दूसरे सिक्ख युद्ध में उमेद सिंह ने अंग्रेजों के विरुद्ध सिक्खों का साथ दिया । उम्मेद सिंह और उसके पुत्र जय सिंह को गिरफ्तार कर अल्मोड़ा भेज दिया गया जहां उनकी मृत्यु हो गई।
1879 ई. में उम्मेद सिंह के पोते रणसिंह ने अपने पुरखों की रियासत के 21 गांवों पर कब्ज़ा कर लिया था। 1892 में उनकी मृत्यु हो गई और उनके पुत्र राजा रघुनाथ सिंह उत्तराधिकारी बना, जिसकी 1918 में मृत्यु हो गई। इसके बाद, लक्ष्मण सिंह उनके उत्तराधिकारी बने, जो अम्ब में रहने लगे।
- HP Police Constable Final Result 2022 -District Chamba
- HP Patwari Exam Question Paper 2019 Pdf
- DC Office Shimla Drivers Recruitment 2022
- JSV (IPH) Division Padhar Fitter, Pump Operator And MPW Recruitment 2022
- HP Current Affairs (हिमाचल प्रदेश कर्रेंट अफेयर्स) -4th Week of July 2022
कुटलैहड़ रियासत
कुटलैहड़ रियासत जसवां की पहाड़ियों में फैली हुई थी। चौकी और कुटलैहड़ इसके मुख्य भाग थे। इस रियासत को पूर्व में चौकी कुटलैहड़ के नाम से जाना जाता था। यह रियासत कांगड़ा की सबसे छोटी रियासत थी।
कुटलैहड़ रियासत की स्थापना दसवीं या ग्यारहवीं शताब्दी में एक साहसी व्यक्ति जसपाल ने की थी। उसने कुटलैहड़ और तलहटी के कुछ अपने अधीन करके कोट-कहलूर में रहना काम किया है और बाद में इसे अपनी राजधानी बनाया। जॉर्ज कारनेक बरनेस, जिसने सबसे पहले कांगड़ा का भूमि बंदोबस्त किया था, का कहना है कि जसपाल मुरादाबाद के निकट सबल से आया था। परंतु कुटलेहड़ राज परिवार के निजी कागज पत्रों से पता चलता है कि कुटलैहड़ का संस्थापक जसपाल पूना के राजा का पुत्र था और अपने लिए नई भूमि की खोज में इस क्षेत्र में आया था । इस वंश ने 40 पीढ़ियों तक राज किया था । कांगड़ा क्षेत्र की पहाड़ी रियासतों की तुलना में यहां शांति रही क्योंकि सल्तनत तथा मुगल कालीन साहित्य में कुटलैहड़ का कोई उल्लेख नहीं मिलता ।
1758 ई . में अहमद शाह दुर्रानी ने काँगड़ा के राजा घमंड चन्द को पहाड़ी क्षेत्र का सूबेदार बनाया तो उसने कुटलैहड़ रियासत के उत्तरी प्रान्त चौकी पर कब्जा कर लिया था। संसार चन्द ने 1786 ई. में कुटलैहड़ पर कब्जा किया जिसे बाद में गोरखों ने आजाद करवाया। 1809 ई. में राज्य सिखों के अधीन आ गया। कुटलैहड़ के राजा नारायण पांडे 1825 ई. में रणजीत सिंह से कौटवालवाह किले के लिए युद्ध किया। 1845 ई. के पहले सिक्ख युद्ध के समय राजा ने सिक्खों को वहाँ से निकाल दिया। कुटलैहड़ का अंतिम राजा वृजमोहन पाल था। बेदी विक्रमसिंह ने 1848 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध विद्रोह किया। बेदी सुजान सिंह ने ऊना शहर को 1848 ई. में पुनः बेदी शासन के अधीन लाया।
वर्तमान ऊना जिला 1966 ई. से पूर्व पंजाब के होशियारपुर जिले की तहसील थी। वर्ष 1966 ई. से 1972 ई. तक ऊना काँगड़ा ज़िले का भाग था। वर्ष 1972 ई. में ऊना को जिले का दर्जा प्रदान किया गया। ऊना शहर की नींव बाबा कलाधारी ने रखी थी।
Brief History of District Una -Himachal Pradesh | ऊना जिला का इतिहास
Read Also : Brief History of District Una