Dr. Yashwant Singh Parmar – HP

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डॉ यशवन्त सिंह परमार
जन्म :4 अगस्त 1906
पिता का नाम : भण्डारी शिवानंद सिंह परमार
जन्म स्थान : बागथन (सिरमौर जिला )

डॉ यशवन्त सिंह परमार एक राजनेता एवं स्वतंत्रता-संग्राम सेनानी थे। वह हिमाचल प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री थे। उनका हिमाचल प्रदेश को अस्तित्व में लाने और विकास की आधारशिला रखने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। डॉ यशवंत सिंह परमार ने एफ सी कॉलेज लाहौर तथा लखनऊ विश्व विद्यालय के कैनिंग कॉलेज लखनऊ से शिक्षा प्राप्त की। डॉ वाई एस परमार ने एम्. ए. , एल. एल. बी. तथा पी.एच.डी. की। उन्होंने कई पदों पर रह कर सेवाएं दी :

1.सदस्य सेवा समिति नाहन (1919-20 )
2.थियोसॉफिकल सोसाइटी देहरादून के सदस्य (1920 )
3.सिरमौर रियासत में उप न्यायधीश तथा प्रथम श्रेणी के मैजिस्ट्रेट (1920-37) ।
4.सचिव नाहन क्रिकेट क्लब (1937-39)।
5.सिरमौर रियासत के जिला व सत्र न्यायधीश (1937-41) ।
6.हिमाचल प्रदेश न्यायिक आयोग के न्यायालय में अधिवक्ता।
7.अध्यक्ष, अखिल भारतीय स्टेट पीपल्ज़ सम्मेलन (1947) ।

1948 ई. में सुकेत सत्याग्रह की व्यवस्था की जिसका चरमोत्कर्ष हिमाचल प्रदेश की रियासतों क एकीकरण के रूप में हुआ। 1948 ई. में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (AICC) के लिए मनोनीत किए गए। बाद में मुख्य आयुक्त सलाहकार परिषद् (1948) के सदस्य बने। 1948-50 में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। डॉ. परमार ने 1951-52 में प्रथम बार विधानसभा का चुनाव लड़ा और इसके नेता चुने गए। 1952-56 की अवधि के लिए पहले मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। 1957 ई. में संसद के लिए चुने गए। 1960 ई. में हिमाचल प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गए। 1961 ई. में वह सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता बने । 1961-62 व 1963 ई. में HPCC के अध्यक्ष थे। 1963 और फिर 1967 ई. में पुनः प्रदेश के मुख्यमंत्री निर्वाचित हुए। रेणुका निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा के लिए चुने गए। 1967 से 1977 ई. तक डॉ. परमार लगातार हिमाचल प्रदेश के मुख्य मंत्री रहे। 2 मई 1981 में उनका देहांत हो गया। वे एक वाक्पटु लेखक थे और उन्होंने निम्नलिखित पुस्तकें लिखीं-
1.”Social & Economic Background of Himalayan Polyandry”.
2.”Himachal Pradesh-Its proper shape and status.”
3.”Himachal Pradesh-Case for Statehood”.
4. “Himachal Pradesh-Area and Language and Strategy for the development of hill areas”.

डॉ. वाई.एस. परमार न केवल एक राजनैतिक नेता था, बल्कि एक बहुमुखी प्रकृति और गुणों के व्यक्ति भी थे। इन्होंने राष्ट्रीय आंदोलन और रियासतों के एकीकरण में बढ़चढ़कर भाग लिया। पहाड़ी लोगों के लिए अपनी सरकार उपलब्ध करवाने के लिए 1971 ई. तक एक आशयपूर्ण लक्ष्य के लिए लड़े और लड़ाई लड़ी। पूर्ण राज्य का दर्जो प्राप्त करने के बाद उन्होंने लोगों को प्रदेश के निर्माण की प्रक्रिया में समर्पित होने को कहा जो गंभीरता और दायित्व की भावना की असली परीक्षा थी। डॉ. परमार जीवन भर राज्य की प्रगति के पर्यायवाची रहे। उन्हें हिमाचल प्रदेश के संस्थापक के रूप में जाना जाता है।

Dr. Yashwant Singh Parmar – HP

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