Famous Valleys of Himachal Pradesh (हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध घाटियां )
हिमाचल प्रदेश की प्रसिद्ध घाटियां Famous Valleys of Himachal Pradesh :
हिमाचल प्रदेश की विभिन्न नदी -घाटियों में प्राचीन सभ्यताओं के होने के साक्ष्य मिले हैं I यहाँ की नदी घाटियां अपने विभिन्न कारणों के लिए प्रसिद्ध हैं l ये घाटियां प्रदेश की सुंदरता में चार चाँद लगा रही है l हिमाचल प्रदेश के दक्षिण क्षेत्र में स्थित घाटियां मुख्यत: अधिक चौड़ी है l नदी नालों द्बारा इकट्ठी की गई मिटटी तथा कई निर्मित झीलों के परिणामस्वरूप भी नदी घाटियां उभरी है l जिला मंडी में स्थित ‘बल्ह घाटी ‘ ऐसी ही एक कृति है जो सुकेती नदी के किनारे स्थित है l कुल्लू घाटी ,सैंज तथा पार्वती नदियों के मध्य स्थित है जहाँ पूर्व काल की कई झीलें विलुप्त हो गई l हिमाचल प्रदेश की घाटियों को मुख्यत: दो भागों में विभक्त किया जा सकता है -एक जो दर्शनीय है दूसरी जो कृषि की दृष्टि से उपयोगी है l

सतलुज घाटी (Satluj Valley ):
.सतलुज नदी के तिब्बत से भारतीय भूमि में ‘शिपकिला’ नामक स्थान पर प्रवेश करते ही यह घाटी शुरू हो जाती है l और बिलासपुर तक फैली है l यह घाटी जांस्कर ,बृहद हिमालय ,पीरपंजाल ,धौलाधार पर्वत श्रृंखला को काटती हुई पंजाब के मैदानों तक पहुंचती है l बिलासपुर ,रामपुर ,भाभा आदि प्रमुख नगर इस नदी के किनारे बसे हुए है l
सतलुज के साथ लगने वाले ऊँचे पहाड़ों पर चीड़ ,देवदार ,रई ,कैल आदि वृक्ष भी कम नहीं और इसी के किनारे निम्न क्षेत्रों में तून,चुई ,खैर ,पलाश,एरण्ड और किंशुक, शुहर के पेड़ भी है l इस नदी के आस पास मयूर ,तीतर ,बटेर ,चिड़िया ,टीटीभ ,मटोलाडी ,जंगली मुर्गे ,मोनाल ,कठफोड़े ,कौए आदि अनेक प्रकार के पक्षी विचरण करते हैं l Famous Valleys of Himachal Pradesh.
क्यारदा दून घाटी (Kiardadun Valley ) :
यह घाटी प्रदेश के दक्षिण -पूर्वी भाग में स्थित है l यह पांवटा घाटी के नाम से भी जानी जाती है l यमुना नदी इसे देहरादून से अलग करती है l यह घाटी उत्तर से नाहन के पर्वत पृष्ठ से लेकर दक्षिण में शिवालिक पहाड़ियों तक फैली है l बाटा नदी इसको सींचती है l इस घाटी के मैदानी इलाकों में शामिल है –नीलखेड़ा तथा इसके नजदीक के क्षेत्र जिनमे निचली डारथी जो कि बाटा नदी के उतर में स्थित है ,जामुनखडा का पूर्वी भाग,टिल्ला गरीबनाथ का पश्चिम भाग तथा रजबन का दक्षिण क्षेत्र l दून घाटी ,यमुना तथा निचली डारथी पहाड़ियों के मध्य स्थित है जिसे गिरी तथा बाटा नदियां सिंचित करती है l राजा शमशेर प्रकाश के शासन काल में यहाँ लोगों ने बसना शुरू किया l
सरसा घाटी (Sarsa Valley ):
यह घाटी कालका से लेकर नालागढ़ तक फैली हुई है l इसे औद्योगिक घाटी भी कहा जाता है l इस घाटी की शुरुआत डगशाई से होती है ,जो कुम्हारहट्टी के समीप एक पहाड़ी के उतुंग शिखर पर स्थित है l कालका के ऊपर शिवालिक पहाड़ियों से निकलने वाली ‘बल्द नदी ही आगे जाकर सरसा नदी बन जाती है l बल्द नदी भी नयानगर के समीप दो खड्डो ‘अम्बोटा खड्ड और बारगु खड्ड के मिलने के बाद अस्तित्व में आती है l घाटी के प्रमुख शहर डगशाई ,कसौली सनावर नाहरी ,बेजा ,हरिपुर तथा रामशहर है l
इस घाटी में स्थित कसौली शहर शिवालिक पर्वत माला का एक सूंदर रमणीक पर्यटन स्थल है l इसका पुराण नाम कसुल था इसकी सबसे ऊँची चोटी मंकी पॉइंट के रूप में जानी जाती है l जोहड़जी पूर्व महलोग रियासत की राजधानी ‘पट्टा ‘ से 5 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी के उतुंग शिखर पर खुली वादी में निर्मित एक प्राचीन गुरुद्वारा है रामशहर का किला नालागढ़ -शिमला मार्ग पर नालागढ़ से 20 किलोमीटर दूर एक पहाड़ के शिखर पर बना है सरसा घाटी में परमाणु ,बद्दी ,बरोटीवाला औद्योगिक शहर है l
चौंतड़ा घाटी :
चौंतरा घाटी जिला मंडी की जोगिन्दर नगर तहसील में स्थित है यह धौलाधार पर्वत श्रृंखला के धरातल पर स्थित है
स्वां घाटी या जसवां दून घाटी :
स्वां घाटी ,स्वां नदी तथा इसकी सहायक नदियों के दोनों ओर जिला ऊना में स्थित है l इसका क्षेत्रफल उतर -पश्चिम में दौलतपुर से दक्षिण में पंजाब तक फैला हुआ है दौलतपुर ,अम्बोटा ,गगरेट ,मुबारिकपुर ,अम्ब ,पंजावर खड्ड,घालुबाल ,ऊना ,हरौली व् संतोषगढ़ इस घाटी के प्रमुख शहर है

पब्बर घाटी :
पब्बर घाटी रोहड़ू तहसील स्थित है इस घाटी में पानी की पब्बर नदी पूरा करती है ,जो चांशल चोटी से निकलती है l चंद्र नाहन झील से यह नदी जलधारा के रूप में पहाड़ों के भीतर प्रवाहित होती हुई ‘विन्गु ‘नामक पहाड़ के पीछे से होकर माइला गाँव में इसी नाम की खड्ड में मिलकर नदी के रूप में प्रकट होती है l
प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर स्थली हाटकोटी से यह घाटी शुरू होती है और चांशल शिखर के आधार पर टिकरी नामक स्थान पर ख़त्म होती हैl इस घाटी की चोटियों की ढलान सतलुज की अपेक्षा अधिक सूंदर है ,परन्तु कुल्लू घाटी की अपेक्षा अधिक नमी लिए हुए इस घाटी की चोटियां व् घाटियां 1500 मीटर से 5000 मीटर ऊँची है l पब्बर घाटी को अध्ययन की दृष्टि से पांच प्रमुख भागों में बांटा गया है l1. रणसार की नाली 2. टिकराल की नाली3. जिगाह की नाली4. नावर की नाली 5. स्पैल की नाली
अश्वनी घाटी :
अश्वनी घाटी का क्षेत्र शिमला में कुफरी से लेकर सोलन के गौड़ा तक फैला हुआ है l इस घाटी का जन्म अश्वनी नदी के रूप शिमला के टूटी कंडी के समीप बड़ाई गांव से हुआ है l धारों की धार का किला अश्वनी घाटी का अंतिम महत्वपूर्ण स्थान है इस घाटी के प्रमुख शहर है –शिमला ,चायल ,कंडाघाट ,सोलन तथा धर्मपुर l
सपरून घाटी :
सपरून की घाटी सोलन जिले में स्थान है यह बहुत उपजाऊ हैl
कुनिहार घाटी :
कुनिहार घाटी शिमला से पश्चिम की ओर 50 किलोमीटर दूर सोलन जिले समुन्द्र तल से लगभग 100 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है l
गंभर घाटी :
यह घाटी सोलन जिला को दो भागों में विभक्त करती है लगदाघाट से लेकर गंभर नदी में रछोग तक बिलासपुर के साथ सोलन की सीमा बनाती है l सीमेंट प्लांट भी इसी घाटी में स्थित है इस घाटी के प्रमुख स्थल है -जब्बरहट्टी ,कुनिहार स्पाटु ,भरोली कठन्नी ,कुठार ,बनलगी ,जगजोत ,महलोग ,घड़सी,छमकड़ी तथा अर्की l Famous Valleys of Himachal Pradesh
कुल्लू घाटी :
यह घाटी खुली और चौड़ी है जो ब्यास नदी के साथ मंडी और लारजी के मध्य स्थित है l यह घाटी 75 किलोमीटर लम्बी और 2 से 4 किलोमीटर चौड़ी है l इसका मुख्य शहर कुल्लू है यह समुद्र तल से 1200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है l इस घाटी में अनेक प्रकार की जड़ी बूटियां पाई जाती है l कुल्लू की रूपी वादी रूपा अर्थात चांदी की खानों के लिए प्रसिद्ध है l सिराज क्षेत्र को ‘विशलेउ जलोड़ी पर्वत शिखर दो भागों में विभक्त करता है भीतरी सिराज सैंज घाटी से मिलता हैl तीर्थन इस घाटी की मुख्य नदी है l इस घाटी के प्रमुख शहर है-मंडी कुल्लू भुंतर ,शमशी तथा मनाली l
बल्ह घाटी :
बल्ह घाटी मंडी जिले में स्थित है l इसे सूंदर नगर घाटी के नाम से भी जाना जाता है l इस घाटी का विस्तार उतर में गुटकर से दक्षिण में सुंदरनगर तथा पूर्व में बग्गी से पश्चिम में गम्मा तक है l इसके उतर में शिमला पर्वत पृष्ठ और दक्षिण में शिवालिक की मनोरम पहाड़ियां है l मिश्रित अर्थव्यवस्था को विकसित करने के लिए पशुपालन ,सब्जी उत्पादन ,मुर्गी पालन तथा फलोत्पादन को भारत -जर्मन कृषि परियोजना 1962 के अंतर्गत विशेष महत्व दिया जा रहा है l
इमला -विमला घाटी :‘
इमला -विमला घाटी ‘ वर्तमान हिमाचल प्रदेश के मंडी जनपद मुख्यालय के दक्षिण पूर्व में शिकारी धार से परलोग (सतलुज नदी तट )तक व्याप्त की अपनी अलग ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक विरासत रही है l इमला विमला दो प्रमुख जल धाराएं हैं l इस घाटी के उतर पूर्व में शिकारी धार,रायगढ़ गुहाड़ ,दोफा,रामगढ कजौण तथा बगड़ा के इलाके हैं l चिण्डी ,बखरौट पश्चिम में कुन्हु ,रियूंषि ,मांहू दक्षिण पूर्व में स्थित हैl बेऔष ,पनैद के मैदानी भूभाग ‘इमला ‘,विमला नदियों के तट पर जान -जीवन कृत (सत्य ) युग से विद्यमान है l
काँगड़ा घाटी :
काँगड़ा घाटी में धौलाधार पर्वत श्रृंखला और दक्षिण में शिवालिक की पहाड़ियां हैं l इसकी श्रृंखला पश्चिम से पूर्व की ओर लगातार उठाव लिए हुए है जो शाहपुर से बैजनाथ और पालमपुर की ओर विकसित है l बैजनाथ ,पालमपुर ,काँगड़ा ,धर्मशाला और नूरपुर इस घाटी के प्रसिद्ध शहर है मेक्लिओडगंज(निर्वासित तिब्बती सरकार का मुख्यालय ) चामुंडा मंदिर,बृजेश्वरी मंदिर , तपोवन संदीपनी हिमालय पर्यटकों के लिए विशेष आकर्षण के केंद्र है l
बड़ा भंगाल घाटी :
यह घाटी काँगड़ा घाटी से लगती है तथा धौलाधार और पीरपंजाल पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य स्थित है l बड़ा भंगाल घाटी काँगड़ा और चम्बा जिले के क्षेत्र को छूती है l रावी नदी इसी घाटी की ढलान से निकलती है l
सांगला या बासपा घाटी :
यह घाटी किनौर जिले में है l यह घाटी बास्पा नदी के उदगम स्थल से शुरू होती है और 95 किलोमीटर बाद सतलुज नदी से बासपा नदी के मिलने के साथ ही ख़त्म हो जाती है l इस घाटी का सबसे ऊंचाई पर स्थित गाँव छितकुल है l कामरु और सांगला गाँव जो बासपा नदी के दाईं तरफ बसे है अधिक जनसंख्या के घनत्व बाले क्षेत्र है l सुप्रसिद्ध चुग शकागो दर्रा इसी घाटी में स्थित है l
पिन घाटी :
पिन घाटी स्पीति घाटी की सहायक है यह ट्रांस हिमालय क्षेत्र में स्थित है l
लाहौल और स्पीति घाटी :
स्पीति घाटी की मुख्य नदी स्पीति नदी है जिससे इसका नाम पड़ा l यह बृहद हिमालय और जांस्कर पर्वत श्रृंखला के मध्य स्थित है इस घाटी को चोटियां 3000 मीटर 6500 मीटर ऊँची है l लाहौल की घाटी प्रदेश के उतर की तरफ स्थित है जो चंदा और भागा नदियों की उदगम स्थली भी है l स्पीति को शीत मरुस्थल भी कहा जाता है l यहाँ कई प्रसिद्ध गोम्पा है –डंखर ,की ,ताबो कुगरी आदि l
पांगी घाटी :
पांगी घाटी चिनाव नदी के किनारे पर स्थित है जो पीरपंजाल और बृहद हिमालय पर्वत श्रृंखलाओं के पर्वत पृष्ठों काटती है l पांगी घाटी दक्षिण पूर्व से उत्तर -पश्चिम की ओर कश्मीर की पीरपंजाल श्रृंखला से जुडी है l इसकी समुद्रतल से ऊंचाई 18000 फुट से 19000 फुट तक है पांगी घाटी के उतर में जांस्कर धार है l पांगी घाटी में चिनाब नदी का विस्तार लगभग 80 किलोमीटर है l संसारी नाला तथा पांगी घाटी के अन्य जल स्त्रोत भी चिनाब नदी में गिरते है l पांगी घाटी साल के लगभग 8 माह बाहरी क्षेत्र से कटी रहती है l इसलिए इसे काले पानी की संज्ञा भी दी जाती है lपांगी चरागाहों के लिए मशहूर है यहाँ की जलवायु शरद और शुष्क है ,परन्तु यहाँ का प्राकृतिक सौंदर्य देखते ही बनता है l यहाँ अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों के भंडार है
रावी घाटी :
रावी घाटी ,पश्चिम हिमालय में स्थित आकर्षक स्थल है l इस घाटी के निचले क्षेत्र जिसकी अधिकतम ऊंचाई 1000 मीटर में है शीशम तथा पीपल के वृक्ष पाए जाते है l इस घाटी का अधिकतर भाग 2500 मीटर से निचे है इस घाटी में प्रमुख शहर चम्बा बसा हुआ है ,जो रावी नदी के बाईं तरफ स्थित है दूसरे प्रमुख नगर भरमौर ,डलहौजी और खजियार है ,जो घाटी की शोभा बढ़ा रहे है l चम्बा घाटी में कई किस्म की औषधीय जड़ी -बूटियां भी पायी जाती है l रावी घाटी के कृषक कुछ पारंपिक फसले भी पैदा करते है जैसे फूलन ,चिने ,भरेस ,कोदरा ,बज्रभंग ,और सियूल आदिl
चंद्रभागा घाटी :
चंद्रभागा दो नदियों का नाम है जो ‘तांदी ‘ नामक स्थान पर मिलती है तथा चिनाव नदी का रूप ग्रहण करती है चंद्रा घाटी को स्थानीय भाषा में रंगोली भी कहते है इस घाटी का अधिकांश क्षेत्र जनसँख्या विहीन है l यह क्षेत्र ऊँचे ऊँचे पर्वतों तथा दर्रों के लिए प्रसिद्ध है l इस घाटी में चंद्रा नदी खोकसर स्थल से 72 किलोमीटर नीचे बहने के उपरांत प्रथम मनुष्य निवास मिलता है l
यह क्षेत्र उतर-पश्चिम में जम्मू ,दक्षिण में लाहौल-स्पीति जिला ,पश्चिम में पीरपंजाल पर्वत श्रृंखला तथा उत्तर एवं पूर्व में बृहद हिमालय से घिरा हुआ है घाटी का अधिकांश क्षेत्र 1800 से 3000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है इस घाटी जलवायु शुष्क हिमालय श्रेणी का है मुख्य वनस्पति देवदार तथा पाइन के पौधे है भागा को स्थानीय भाषा में ‘गारा या पुनान भी कहते हैं भागा नदी के दाहिने किनारे पर स्थित ‘केलांग ‘ सुप्रसिद्ध गाँव है जो जिला लाहौल स्पीति का मुख्यालय भी है l
चुराह घाटी :
इस घाटी के सभी जल स्त्रोतों का सृजन स्यूल खड्ड करती है ,इसीलिए इस भू -भाग को चुराह घाटी का नाम दिया गया है l अप्पर चुराह के पूर्व दक्षिण में ‘दराटी ‘ और ‘महलवा ‘के जोत है जिन्हे लांघकर लाहौल स्पीति में पंहुचते है तीसा के उत्तर में ‘चैहणी ‘ और अड़ाऊ ‘ के जोत हैं जिन्हे लांघकर एक ओर से प्रसिद्ध मंदिर चामुंडा , मिंधल में और दूसरी ओर पांगी के फिंडरू नामक स्थान पर पहुँचते है
अप्पर चुराह के उत्तर -पश्चिम में साच पास नामक जोत है जो कि चुराह और पांगी घाटी का प्रवेश द्वार भी कहलाता है इस जोत को लांघकर पांगी घाटी के मुख्यालय ,किलाड़ में पहुँचते हैंl अप्पर चुराह के पश्चिम -दक्षिण में मैहलवार की जोतों की श्रृंखला है जिसे पीर -पंजाल भी कहते हैं. लोअर चुराह (सलूणी)के पश्चिम में पधरी नामक जोतों की श्रृंखला है इस जोत के दर्रों को लांघकर भी जम्मू कश्मीर के जिला डोडा की तहसील भद्रवाह में पहुँचते हैं l चम्बा जिले में चुराह घाटी सबसे अधिक सम्पदा तथा उपजाऊ है l यह घाटी 35 प्रतिशत के लगभग वनों से ढकी है l
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