Flag Code of India 2002 | भारतीय ध्वज सहिंता 2002

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भारत की ध्वज सहिंता , 2002 को तीन भागों में बांटा गया है। भाग -1 में राष्ट्र ध्वज से सबंधित सामान्य विवरण दिए गए हैं। भाग -2 राष्ट्र ध्वज के सार्वजानिक निजी संस्थाओं , शिक्षा संस्थाओं आदि से सबंधित व्यक्तियों द्वारा प्रदर्शित हो जाने के बारे में है। भाग -3 राष्ट्र ध्वज के केंद्र एवं राज्य सरकारों , उनके संगठनों एवं अभिकरणों द्वारा प्रदर्शित किए जाने से सबंधित है।

भाग- I राष्ट्र ध्वज से सम्बन्धित सामान्य विवरण

1.1 राष्ट्र ध्वज तीन आयताकार पट्टियों अथवा समान चौड़ाई बाली 34 पट्टियों से बना एक तिरंगा पट्टा होगा। सबसे ऊपरी पट्टी केसरिया रंग की होगी तथा सबसे निचली पट्टी धानी (India green) रंग की होगी। बीच की पट्टी श्वेत रंग की होगी जिसके बीचो बीच गहरे नीले (navy blue) रंग में अशोक चक्र अंकित होगा जिसमें समान दूरी वाले 24 अर (spokes) होंगे। अशोक चक्र की या तो स्क्रीन प्रिन्टिंग की गई होगी या उसकी कशीदेकारी की गई होगी, जो ध्वज के दोनों ओर से श्वेत पट्टी के बीच में स्पष्ट रूप से दिखाई देगा।
1.2 भारत का राष्ट्रीय ध्वज हाथ से काते गए अथवा हाथ से बुने गए ऊनी/सूती/रेशमी खादी के कपड़े से बना होगा।।
1.3 राष्ट्र ध्वज का आकार आयताकार होगा, और उसकी लंबाई और ऊँचाई (चौड़ाई) का अनुपात 3: 2 होगा।
14 राष्ट्रीय झंडे के मानक आकार निम्नलिखित होंगे-

झंडे का आकार
संख्या (वर्ग)
मिलीमीटर में माप
16300X4200
23600X2400
32700X1800
41800X1200
51350X900
6900X600
7450X300
8225X150
9150X100

1.5 लहराने के लिए समुचित आकार के झंडे का चुनाव किया जाएगा। 450X300 मिलीमीटर आकार के झंडे अति गणमान्य (महत्वपूर्ण) व्यक्तियों को ले जाने वाले विमानों के लिए ; 225 X 150 मिलीमीटर आकार के झंडे मोटरकारों तथा 150 X 100 मिलीमीटर के झंडे मेजो के लिए होते हैं।

भारतीय ध्वज संहिता, 2002 (Flag Code 2022) को 20 जुलाई 2022 के संशोधन के बाद जहां ध्वज खुले में प्रदर्शित किया जाता है या किसी नागरिक के घर पर प्रदर्शित किया जाता है, वहां इसे दिन-रात फहराया जा सकता है। जबकि पहले तिरंगे को सूर्योदय से सूर्यास्त तक लगाने की अनुमति थी।

भाग- II- आम जनता, गैर-सरकारी संगठनों तथा शिक्षा संस्थाओं आदि द्वारा राष्ट्रीय झंडा फहराया जाना / प्रदर्शन/ उपयोग

धारा-1

2.1 आम जनता, गैर सरकारी संगठनों तथा शिक्षा संस्थाओं द्वारा राष्ट्रीय झंडे के प्रदर्शन पर कोई प्रतिबंध नहीं होगा सिवाय प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग का निवारण) अधिनियम, 1950 तथा राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971 तथा इस विषय पर बनाए गए किसी अन्य कानून में प्रावधान किए गए प्रतिबंध के उपरोक्त अधिनियमों में की गई व्यवस्था के अनुसार निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाएगा।

(i) झंडे का प्रयोग व्यावसायिक प्रयोजनों के लिए नहीं किया जाएगा क्योंकि इससे प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग का निवारण) अधिनियम, 1950 का उल्लंघन होगा,
(ii) झंडे को किसी व्यक्ति या वस्तु को सलामी देने के लिए झुकाया नहीं जाएगा।
(iii) झंडे को आधा झुकाकर नहीं फहराया जाएगा सिवाय उन अवसरों के जब सरकारी भवनों पर झंडे को आधा झुकाकर फहराने के आदेश जारी किए गए हों।
(iv) किसी भी रूप में झंडे को लपेटने के काम में नहीं लाया जाएगा- निजी शवयात्रा भी इसमें सम्मिलित है।
(v) किसी प्रकार की पोशाक अथवा वर्दी के भाग के रूप में झंडे का प्रयोग नहीं किया जाएगा, साथ ही तकियों, रूमालों, नैपकिनों अथवा वस्त्र सामग्री पर इसकी कढ़ाई अथवा मुद्रण नहीं किया जाएगा।
(vi) झंडे पर कोई अक्षर नहीं लिखे जाएँगे।
(vii) झंडे को कोई वस्तु प्राप्त करने देने, पकड़ने अथवा ले जाने के पात्र के रूप में प्रयोग नहीं किया जाएगा।
(viii) किसी प्रतिमा के अनावरण के अवसर पर झंडे को सम्मान के साथ, पृथक रूप से प्रदर्शित किया जाएगा; इसका प्रयोग प्रतिमा अथवा स्मारक को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा।
(ix) झंडे का प्रयोग वक्ता की मेज को ढकने के लिए नहीं किया जाएगा, न ही वक्ता के मंच की सज्जा के लिए किया जाएगा।
(x) झंडे को सचेतन रूप से जान बूझकर जमीन अथवा फर्श स्पर्श करने अथवा पानी लिथड़ने नहीं दिया जाएगा।
(xi) झंडे को वाहन, रेलगाड़ी, नाव अथवा वायुयान की टोपदार छत, ऊपर, अगल-बगल अथवा पीछे से ढकने के काम में नहीं लाया जाएगा।
(xii) झंडे का प्रयोग किसी भवन में परदा लगाने के लिए नहीं किया जाएगा, तथा
(xiii) झंडे को जानबूझकर ‘केसरिया’ रंग को नीचे करके नहीं फहराया जाएगा।

2.2 जनता का कोई भी व्यक्ति, गैर-सरकारी संगठन अथवा शिक्षा संस्था राष्ट्रीय झंडे को सभी दिनों और अवसरों, औपचारिकताओं का अन्य अवसरों पर फहरा/प्रदर्शित कर सकता है। राष्ट्रीय झंडे की मर्यादा रखने और सम्मान देने के लिए निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाएगा-

(i) राष्ट्रीय झंडा फहराते समय उसकी स्थिति सम्मानजनक और पृथक होनी चाहिए।
(ii) फटा हुआ या मैला-कुचैला झंडा प्रदर्शित नहीं किया जाएगा।
(iii) झंडे को एक ही ध्वज दंड से अन्य झंडे या झंडों के साथ नहीं फहराया जाए।
(iv) संहिता के भाग III की धारा IX में की गई। व्यवस्था के अलावा झंडे को किसी वाहन पर नहीं फहराया जाएगा।
(v) झंडे का प्रदर्शन किसी सभा मंच पर किए जाने की स्थिति में उसे इस प्रकार फहराया जाना चाहिए कि जब वक्ता श्रोताओं की ओर उन्मुख हो तो झंडा उसके दाहिनी ओर हो, अथवा झंडे को वक्ता के पीछे दीवार के साथ और उससे ऊपर लेटी हुई स्थिति में प्रदर्शित किया जाए।
(vi) जब झंडे का प्रदर्शन किसी दीवार के सहारे, लेटी हुई और समतल स्थिति में किया जाता है तो केसरिया भाग सबसे ऊपर रहना चाहिए और जब वह लम्बाई में फहराया जाए तो कसरिया भाग झंडे के हिसाब से दाहिनी ओर होगा (अर्थात झंडे को देखने वाले व्यक्ति की बायीं ओर)
(vii) जहाँ तक संभव हो झंडे का आकार इस संहिता के भाग-1 में निर्धारित किए गए मानकों के अनुरूप होना चाहिए।
(viii) किसी दूसरे झंडे या पताकार को राष्ट्रीय झंडे से ऊँचा या उससे ऊपर या उसके बराबर में नहीं लगाया जाए, न ही फूल, माला, प्रतीक या कोई अन्य वस्तु उसके ध्वज दंड के ऊपर रखी जाए।
(ix) पुष्प गुच्छ का पताका या बंदनवार बनाने या किसी अन्य प्रकार की सजावट के लिए झंडे का उपयोग नहीं होगा।
(x) जनता द्वारा कागज के बनाए झंडों को महत्वपूर्ण राष्ट्रीय, सांस्कृतिक और खेलकूद के अवसरों पर हाथ में लेकर हिलाया जा सकता है। परंतु कागज के ऐसे झंडों को समारोह के समापन के पश्चात न तो विकृत किया जाएगा, न ही जमीन पर फेंका जाएगा। जहाँ तक संभव हो, ऐसे झंडों का निपटान अलग से एकांत में मर्यादा के अनुसार किया जाना चाहिए।
(xi) झंडे का प्रदर्शन खुली जगह में किए जाने पर मौसम को ध्यान में रखते हुए उसे सूर्योदय से सूर्यास्त तक फहराया जाना चाहिए।
(xii) झंडे को किसी भी प्रकार से बांधा या फहराया जा सकता है जिस तरीके से उसे किसी प्रकार का नुकसान ना हो।
(xiii) झंडा मैला होने या फट जाने की स्थिति में उसे एकांत में पूरी तरह नष्ट कर दिया जाएगा। बेहतर होगा यदि जलाकर या उसकी मर्यादा के अनुकूल अन्य तरीके से नष्ट किया जाए।

धारा-II

2.3 शिक्षा संस्थाओं (स्कूल, कॉलेज, खेल शिविर, स्काउट शिविर आदि) में राष्ट्रीय झंडा फहराया जाए ताकि झंडे का सम्मान करने की प्रेरणा दी जा सके। मार्गदर्शन के लिए निम्न बातों का ध्यान रखा जाए:

(i) स्कूल के विद्यार्थी इकट्ठा होकर एक खुला वर्गाकार बनाएँगे। इस वर्ग में तीन तरफ विद्यार्थी खड़े होंगे और चौथी तरफ बीच में झंडा होगा। प्रधानाध्यापक, मुख्य छात्र और झंडा फहराने वाला व्यक्ति (यदि वह प्रधानाध्यापक के अलावा कोई अन्य हो) झंडे से तीन कदम पीछे खड़े होंगे।
(ii) छात्र कक्षा क्रम से दस-दस के दल में (अथवा कुल संख्या के अनुसार, किसी दूसरे हिसाब से) खड़े होंगे और वे एक दल के पीछे दूसरे दल के क्रम में रहेंगे। कक्षा का मुख्य छात्र अपनी कक्षा की पहली पंक्ति में दाहिनी ओर खड़ा होगा और कक्षा अध्यापक अपनी कक्षा की अंतिम पंक्ति से तीन कदम पीछे बीच में खड़ा होगा। कक्षाएँ वर्गाकार में इस प्रकार खड़ी होंगी कि सबसे बड़ी कक्षा सबसे दाहिनी ओर रहेगी और उसके बाद वरिष्ठता क्रम में अन्य कक्षाएँ खड़ी होंगी। (iii) प्रत्येक पंक्ति के बीच कम से कम एक कदम (30 इंच) की दूरी होगी और हर कक्षा के बीच में भी समान दूरी होनी चाहिए।
(iv) जब हर कक्षा तैयार हो जाए तो कक्षा का नेता आगे बढ़कर स्कूल के चुने हुए छात्र-नेता का अभिवादन करेगा। जब सारी कक्षाएँ तैयार हो जाएँ तो स्कूल का छात्र नेता प्रधानाध्यापक की ओर बढ़कर उनका अभिवादन करेगा। प्रधानाध्यापक अभिवादन का उत्तर देगा। इसके बाद झंडा फहराया जाएगा। इस क्रिया में स्कूल का छात्र नेता सहायता कर सकता है।
(v) स्कूल का छात्र नेता जिसे परेड या सभा का भार सौंपा गया है, झंडा फहराने के ठीक पहले परेड को सावधान (अटेंशन) करेगा और झंडे के फहराने पर परेड को झंडे की सलामी देने की आज्ञा देगा। परेड कुछ देर तक सलामी की अवस्था में रहेगी और फिर ‘कमान’ आदेश पाने पर सावधान (अटेंशन) की अवस्था में आ जाएगी।
(vi) झंडे को सलामी देने के बाद राष्ट्रगान होगा। इस कार्य-क्रम के दौरान परेड सावधान की अवस्था में रहेगी।
(vii) शपथ लेने के सभी अवसरों पर शपथ राष्ट्रगान के बाद ली जाएगी। शपथ लेने के समय सभा सावधान की अवस्था में खड़ी रहेगी। प्रधानाध्यापक शपथ पढ़ेंगे और सभा उसको दोहराएगी,
(viii) स्कूलों में राष्ट्रीय झंडे के प्रति निष्ठा की शपथ लेते समय निम्नलिखित प्रक्रिया अपनाई जाएगी-
सभी हाथ जोड़कर खड़े होंगे और निम्नलिखित शपथ दोहराएँगे-
“मैं राष्ट्रीय झंडे और लोकतंत्रात्मक संपूर्ण प्रभुत्वसम्पन्न समाजवादी पंथ निरपेक्ष गणराज्य के प्रति निष्ठा की शपथ लेता/लेती हूँ जिसका यह झंडा प्रतीक है।”

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