Land Movement of Sirmaur 1878 | सिरमौर का भूमि आन्दोलन 1878
राजा शमशेर प्रकाश (1856-1898) ने 1878 ई. में सिरमौर में मुन्शी नन्दलाल और मुन्शी फतेहसिंह के तहत भूमि बन्दोबस्त आरम्भ किया गया। राज्य का यह पहला बन्दोबस्त था।
रेणुका के गिरि पार के क्षेत्र में जब बन्दोबस्त शुरू हुआ तो लोगों ने इसका वास्तविक पता न होने पर विरोध किया। उन्होनें समझा राजा उनसे लगान बढ़ा लेगा।
इसलिये संगडाह के नम्बरदार उछबू और प्रीतम सिंह ने लोगों की अगुआई करके बन्दोबस्त के कर्मचारियों से झगड़ा कर लिया और उन्हें भूमि की पैमाइश करने से रोका और बन्दोबस्त तहसीलदार मुन्शी जीत सिंह को पकड़ने का प्रयास किया। इस बन्दोबस्त के कर्मचारी वापिस नाहन चले गये। राजा ने जर्मीदारों को समझाने का प्रयास किया परन्तु वे नहीं माने।
अन्त में राजा ने विद्रोहियों को पकड़ने के लिये नाहन से सिपाही भेजे साथ ही शिमला में पहाड़ी रियासतों के सुपरिटेन्डेन्ट को भी राजा ने पहले ही अवगत करा दिया। पुलिस को देख कर प्रदर्शनकारी वापिस घर चले गये ओर उनके नेता उछबू और प्रीतम सिंह शिमला सुपरिटेन्डेन्ट के पास गए।
सुपरिन्डेन्ट को पहले ही राजा ने लिख दिया था। उसने उन को पकड़कर राजा के पास नाहन भेज दिया। दूसरे विद्रोहियों को भी पकड़कर नाहन लाया गया। उन्हें सजा दी गई। इसके पश्चात् बन्दोबस्त का काम ठीक तरह से चलता रहा।
Land Movement of Sirmaur 1878 | सिरमौर का भूमि आन्दोलन 1878
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