खम्पा या खाम्पा : हिमाचल की जनजाति

खम्पा या खाम्पा : हिमाचल की जनजाति

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जो तिब्बती भारतीय सीमा में आने के बाद से अभी तक घुमन्तु जीवन बिता रहे हैं इन्हे खम्पा कहते है। यह एक व्यापारिक जनजाति है। ये भारत और तिब्बत में व्यापार करते है। महिलाएं भी सुई ,कंघा ,जम्बू ,हींग आदि बेचने के लिए गांव -गांव जाती है। ये लोग घोड़ो का भी व्यापार करते है। आमतौर पर घोड़े (खासकर चामुर्थी घोड़ों ) स्पीति से लाते हैं और रामपुर बुशैहर के प्रसिद्ध लवी मेले पर इन का व्यापार करते हैं। कुछ खम्पा तम्बुओं में रहते हैं तथा कुछ प्राकृतिक गुफाओं में अपना डेरा डालते हैं। टिहरी गढ़वाल में ज्यादातर ऐसे खम्पा लोग मिलेंगे जो गुफाओं में रहते है। इन्हे भैरों जाड कहा जाता है।

ख़म अर्थात पूर्वी तिब्बत से कभी जिनके पूर्वज भारत आये थे उनको हम चार भागों में विभक्त कर सकते हैं :

  1. पीती खम्पा : जो स्पीति में रहने वाले है परन्तु खाना बदोश है।
  2. गरजा खम्पा : लाहौल के मूल निवासी है परन्तु खानाबदोश है।
  3. नखोर खम्पा : नेखोर का अर्थ है तीर्थ यात्रा। जो तिब्बती खम्पा तीर्थ यात्रा के लिए भारत आते हैं और जगह-जगह खाना बदोशों के सामान घूमते हैं उन्हें नेखोर खम्पा कहा जाता है।
  4. खुनु खम्पा : रामपुर बुशहर राज्य में रहने वाले खम्पा खुनु खम्पा कहलाते हैं।

खम्पा जनजाति अलग-अलग क्षेत्रों में विभिन्न नामों से जाने जाते है :-

उत्तराँचल : शाह खम्पा
कुल्लू : निओंदी खम्पा
चम्बा : थावा खम्पा

खम्पा लोगों की संस्कृति ,रीति-रिवाज :-

विवाह – फंकतुन ( विवाह का अवसर ) ,देसिल ( विवाह के दौरान लड़की ,लड़के द्वारा खाया जाने वाला दही चावल से वना मीठा व्यंजन ), थोड़कर (पगड़ी ) तिमडेलूह (प्रश्न -उतर लड़की वालों द्वारा वर का रास्ता रोक कर पूछने के लिए )
वस्त्र – छुवा(गाउन ), बनजग (कमीज), किंगर (टोपी ) , सुक्तू (शॉल ), सूकदान (ऊनी चददर ) , शुजाम चुंगी ( बुजुर्ग लोगों की )
गृह देवता – छड़ना दोरजे।
भोजन – थुप्का और मोमो , गुच्छी (मशरूम ), भालकु ,लिंगड़ ,नोखी ,छियु (खाने योग्य जड़े )
प्रथा – रलदक ( 2 वर्ष से कम आयु के बच्चे के बाल कटवाने की प्रथा (मुंडन ) छीजिक (मृत्यु के चौथे दिन ) , दुजिक ( मृत्यु के 7वे दिन ) , शिपछु शेरकु (49वे दिन ) , लोगार (मृत्यु के एक वर्ष बाद ) किए जाने वाले कर्मकांड।
मेले – लोसर (नव वर्ष त्यौहार , फरवरी के अंतिम सप्ताह में ), गल्दे (मई ) गेतर और लदारचा मेला (स्पीति और किनौर में ) जिसमे खुनु और पीती खम्पा भाग लेते है।

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