History Of Himachal Pradesh-ll
Important Questions for HPAS, NT, HP Allied Services
- हिमाचल में जनपदों के संदर्भ में पाणिनि द्वारा अपनी रचना “अष्टाध्याई” में बताया गया कौन सा जोड़ा सही सम्मिलित नहीं है?
A) त्रिगर्त:काँगड़ा
B) कुल्लुत: कुल्लू
C) कुलिंद/ कुनिद: सिरमौर
D) औदुम्बर: शिमला
उतर-:D) औदुम्बर: शिमला
व्याख्या:- ईसा से छठी और चौथी शताब्दी पूर्व में भारत में 16 महाजनपद अस्तित्व में आए जिन में मगध भी एक था। इनमे अधिकतर गणतंत्र पद्धति पर आधारित थे और राजाओं का चुनाव जनता द्वारा होता था। इसी तरह के 4 जनपदों का जिक्र हिमाचल के संदर्भ में पाणिनि ने अपनी रचना “अष्टाध्याई” में किया है। ये जनपद थे :-
त्रिगर्त:काँगड़ा
कुल्लुत: कुल्लू
औदुम्बर: पठानकोट और नूरपुर के आसपास का क्षेत्र
कुलिंद/ कुनिद: सिरमौर के आसपास का क्षेत्र
इसके अलावा पानीणी ने ग्ब्तिका शब्द का इस्तेमाल चंबा के लिए किया। जबकि युगांधर बिलासपुर और नालागढ़ के आसपास के क्षेत्र के लिए किया। औदुम्बर हिमाचल का एक गणतंत्र कबीला था। औदुम्बरों के सिक्के पठानकोट, नूरपुर, होशियारपुर और ज्वालामुखी आदि के क्षेत्रों में मिले हैं इसलिए इनका संबंध इन क्षेत्रों से जोड़ा जाता है। शिमला से इनका संबंध होने का कोई भी साक्ष्य अभी तक नहीं मिला है। पाणिनि ने अपनी रचना “गणपत” में इनको जालंधर से संबंधित बताया है। जबकि बौद्ध भिक्षु चंद्रगोमी इनको अपनी रचना “वृत्ति” में शाल्वो की एक शाखा से जोड़कर देखते हैं। इन्होंने तांबे और चांदी के सिक्के जारी किए थे जिसमें बैल और त्रिशूल की आकृति मिलने से इनका संबंध शिव उपासक होने से भी जोड़ा जाता है। दूसरी तरफ इनके सिक्कों में ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपि में “महादेवसा” लिखा होना भी इन्हें महादेव शिव का भक्त होना साबित करता है। - कांगड़ा में खनियारा के नजदीक मिले बौद्ध स्तूप का संबंध किस शासक से जोड़ा जाता है ?
A)चंद्रगुप्त मौर्य
B)अशोक
C)कनिष्क
D)हर्ष
उतर-:C)कनिष्क
व्याख्या:- कांगड़ा के खनियारा के नजदीक एक बौद्ध स्तूप मिला है। इसके बारे में इतिहासकारों का मत है कि यह कनिष्क कालीन बौद्ध स्तूप है। इसलिए इसका संबंध कनिष्क से जोडा जाता है। जबकि इसी तरह का एक बौद्ध स्तूप हिमाचल के जिला कुल्लू में मिला है जिसका संबंध मौर्य सम्राट अशोक से जोड़ा जाता है। इसके अलावा ब्राह्मी और खरोष्ठी लिपिओं मे लिखित पठियारा और खनियारा के शिलालेख, हरिसेंन द्वारा लिखित इलाहाबाद का सितम्भ लेख, चड़ी और चेत्ररू में मिले बौद्ध स्तूप,सिरसा और बानगंगा की नदि घाटियो में मिले कुछ पौराणिक औजार, कनिष्क कालीन सिक्के एवम कुछ प्राचीन इमारतें और स्मारक आदि भी काँगड़ा के इतिहास को जानने के महत्वपूर्ण स्रोत है। कांगड़ा के इतिहास को जानने के लिए अन्य स्रोतों में शामिल है:-
1.कांगड़ा के साहित्यिक स्रोतों में वेद, पुराण, महाभारत, बृहद संहिता, अष्टाध्याई, मुद्राराक्षस, राजतरंगिणी, तारीख ए फिरोजशाही, रघुवंशम, आईन-ए- अकबरी,तारीख ए फरिश्ता, तारीख ए फिरोजशाही, तुजक-ए-जहांगीरी तुजक-ए-तैमूरी और वंशावलीयां आदि शामिल है। इन सभी रचनाओं में कांगड़ा राज्य का अलग-अलग नामों से उल्लेख हुआ है, जिनमें त्रिगर्त, जालंधर, भीमकोट नगरकोट आदि नाम शामिल है। पाणिनि ने इसे ” षष्ट यायुधाजीवी संघ” की संज्ञा दी है।
2.विदेशी यात्रियों में, चीनी यात्री ह्युन सॉन्ग ने अपनी रचना “सी-यू-की” में कांगड़ा राज्य का जिक्र किया है। इसके अलावा यूरोपियन यात्रियों में थॉमस कोरियात,फ्रांसीसी बर्नियर, फोस्टर, विलियम मूरक्राफ्ट, विलियम फिंच, बायन, थॉमसन और अलेक्जेंडर कनिंघम आदि ने भी अपने यात्रा वृतांतों में कांगड़ा का जिक्र किया है। तुगलक वंश के दरबारी इतिहासकार उत्तबी व फरिश्ता के भी संस्मरण लिखो में कांगड़ा राज्य का उल्लेख हुआ है। - कुल्लू का राजा चित्र वर्मा चंद्रगुप्त मौर्य के साथ युद्ध में हिस्सा लेने वाले पांच पहाड़ी राजाओं में से एक था यह वर्णन निम्न में से किस रचना में मिलता है?
A)मुद्राराक्षस
B)कात्र्तयागण
C)कादंबरि
D)महाभारत
उतर-:A)मुद्राराक्षस
व्याख्या:- विशाखदत्त द्वारा लिखित नाटक ‘मुद्राराक्षस’ में कुल्लू के राजा चित्र वर्मा का चंद्रगुप्त के साथ हुए युद्ध का जिक्र हुआ है। इसमें कहा गया है कि पहाड़ों में चंद्रगुप्त मौर्य को चुनौती देने वाले पांच राज्यों में से कुल्लू का राजा चित्र वर्मा भी एक था। इसके अलावा कुल्लू के साहित्यिक स्रोतों में पुराण, महाभारत, बृहद संहिता, अष्टाध्याई,कत्रेयादी गण, मुद्राराक्षस, कादंबरी, राजतरंगिणी, वंशावलीयां और तिब्बतियन साहित्य आदि शामिल है। इन सभी रचनाओं में कुल्लू राज्य का उल्लेख हुआ है। पाणिनि ने इसे कुलुत की संज्ञा दी है। महाभारत में कुल्लू के राजा पर्वतईश्वर का उल्लेख हुआ है। पाणिनि की रचना कत्रेयादी गण में नगर को कुल्लू की राजधानी बताया गया है। कुल्लू के इतिहास को जानने के लिए अन्य स्रोतों में शामिल है:-
पुरातात्विक स्रोतों में सातवीं सदी में जारी की गई निरमंड ताम्रपत्र, कुल्लू के राजा वीर्यश द्वारा जारी किए गए तांबे के सिक्के और अशोक कालीन बौद्ध स्तूप के अवशेष आदि शामिल है। विदेशी यात्रियों में, चीनी यात्री ह्युन सॉन्ग ने अपनी रचना “सी-यू-की ” में कुल्लूत राज्य में 20 बौद्ध संघ होने का जिक्र किया है। इसके अलावा मन्झिं बौध भिक्षु के संस्मरण लिखो में कुलुत राज्य का उल्लेख हुआ है।यूरोपियन यात्रियों में विलियम मूरक्राफ्ट के यात्रा वृत्तांत में कुल्लू राज्य का उल्लेख हुआ है। - निम्नलिखित में से चंबा के इतिहास को जानने का प्राचीनतम साहित्यिक स्त्रोत है –
A)ऋग्वेद
B)राजतरंगिणी
C)कादंबरि
D)महाभारत
उतर-:B)राजतरंगिणी
व्याख्या:- चम्बा के साहित्यिक स्रोतों में पाणिनी की अष्टाध्याई, कल्हन द्वारा लिखित राजतरंगिणी, चंबा रियासत की वंशावली और कुछ प्राचीन पांडुलिपियां आदि शामिल है जिनमे चम्बा राज्य का उल्लेख हुआ है। ऋग्वेद, महाभारत और कादंबरी में चंबा का उल्लेख नहीं मिलता। पुरातात्विक स्रोतों में साहिल वर्मन द्वारा जारी किया की गया चकली सिक्का, लौह टिकरी में मिले जसाटा बर्मन के शिलालेख, लक्कड़ शाही सिक्का, गुप्तकालीन तांबे के सिक्के,प्राचीन इमारतें और स्मारक तथा कुछ प्राचीन मंदिर आदि शामिल है। विदेशी यात्रियों में, यूरोपियन इतिहासकार कनिंघम के यात्रा वृतांत वह शोध पत्र शामिल है। - हिमाचल की पहाड़ियों में भरत कुल के राजा देवोदास और शांभर के बीच चले 40 वर्षों के युद्ध का वर्णन निम्न में से किस प्राचीन ग्रंथ में मिलता है?
A)ऋग्वेद
B)सामवेद
C)महाभारत
D)रामायण
उतर-:A)ऋग्वेद
व्याख्या:- ऋग्वेद के अनुसार हिमाचल के तराई वाले क्षेत्रों में में दास, दस्यु और निषाद आदि लोगों का बास था। इनमे दस्युयों का सबसे शक्तिशाली राजा शांभर था। आर्यों के राजा देवोदास ने हिमाचल के तराई वाले क्षेत्र में आक्रमण करके दस्यु राजा शांभर से युद्ध किया जो 40 वर्षों तक चलता रहा। अंततः शांभर को इन्होंने उदब्रिज नामक स्थान पर मार गिराया। आर्यों से हार के बाद इन सभी कुनुबो को मैदानी क्षेत्र छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा और ये हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में आकर बसे। History Of Himachal Pradesh-ll - निम्नलिखित में से सबसे प्राचीन रियासत कौन थी?
A)मंडी
B)सुकेत
C)कुल्लू
D)चंबा
उतर-:C)कुल्लू
व्याख्या:- कुल्लू कांगड़ा के पश्चात हिमाचल की सबसे प्राचीन रियासत थी। इसका उद्भव ईसा पूर्व की सदी में महाभारत काल में हो चुका था। राज्य की वंशावली के अनुसार इसके संस्थापक विहंगमणीपाल थे, जो प्रयाग मायापुरी के रहने वाले थे।विष्णु पुराण, रामायण और महाभारत में भी कुल्लू को व्यास नदी के किनारे बसा बताया है। लोक कथाओं के अनुसार इसे “कुलन्तपीठ” (निवास योग्य अंतिम स्थान) कहा जाता था। विभिन्न लेखकों के अनुसार कुल्लू ऐसी जगह पर बसा था जहां से आगे मानव सभ्यता वास नहीं करती थी।पाणिनी के अनुसार इस राज्य की राजधानी नगर थी जो समय-समय पर बदलती रही और यहां के शासक कभी नगर, कभी जगतसुख तो कभी सुल्तानपुर से शासन करते रहे। राजा जगत सिंह के शासनकाल में राज्य विकास के शिखर पर पहुंचा। राजा बहादुर सिंह और मानसिंह भी इस रियासत के प्रतापी शासक हुए। पाणिनी ने अपनी रचना में चंबा के लिए “ग्ब्तिका” शब्द का इस्तेमाल किया है। पानी ने का कागज क्योंकि ऐसा कि पूर्व सब्जियों का रहा है इससे यह अनुमान भी लगाया जा सकता कि ईसा से पूर्व की शताब्दियों में ही चम्बा मे मनुष्य का बास रहा होगा। लेकिन वंशावली के अनुसार इसकी स्थापना स्थापना छठी सदी में प्रयाग से आए मारू द्वारा की गई थी, इसी बात का उल्लेख कलहन ने अपनी रचना “राजतरंगिणी” में भी किया है। माना जाता है कि मारू के बेटे मेरु ने वर्तमान भरमौर में ब्रह्मपुर नाम से इसकी राजधानी की स्थापना की थी। बाद में इसे 10 वीं सदी में साहिल बर्मन द्वारा चंबा स्थानांतरित किया गया था। साहिल वर्मन की बेटी, चंपावती के नाम पर ही इस रियासत का नाम चंबा पड़ा था। तत्पश्चात अलग-अलग राजाओं के शासनकाल में चंबा 20वीं सदी तक विकास की राह पर आगे बढ़ता रहा। यह रियासत मुस्लिम आक्रमणों से भी बची रही, इसलिए इसके ऐतिहासिक स्मारक भी बचे रहें। चंबा के उद्भव से लेकर इसकी विकास यात्रा में कई राजाओं का सहयोग रहा जिसमें उमेद सिंह कला एवं साहित्य के क्षेत्र में काफी कार्य करने के लिए प्रसिद्ध रहे। राज सिंह ने चित्रकला को बढ़ावा दिया, श्री सिंह, शाम सिंह तथा भूरी सिंह ने जन हित के बहुत से कार्य किए जिसमें शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क निर्माण और बिजली उत्पादन आदि शमिल है। सुकेत और मंडी की स्थापना 8 वीं सदी और इसके बाद के वर्षों में बंगाल से आए सेन वंश के शासकों द्वारा की गई माना जाता है। - निम्नलिखित में से कांगड़ा(त्रिगर्त)रियासत का संस्थापक किसे माना जाता है?
A)भुमी चंद्र/भूमा चंद
B)सुशर्मा चंद्र
C)संसार चंद्र
D)रुप चंद्र
उतर-:A)भुमी चंद्र/भूमा चंद
व्याख्या:- सामान्य लोकमत के अनुसार यह माना जाता है कि कांगड़ा(त्रिगर्त) की स्थापना मुल्तान से आए भूमि चंद्र ने की थी। इसी पीढ़ी का 234वा राजा सुशर्मा चंद्र हुआ जिसका उल्लेख महाभारत में कौरवों के पक्षकार के रूप में हुआ है। उसे कांगड़ा किले का संस्थापक माना जाता है जो आगे चलकर कांगड़ा रियासत के राजाओं की शरण स्थली व केंद्रीय पीठ बनी रही।कांगड़ा पहाड़ी राज्यों में सबसे प्राचीन रियासत थी। इसे त्रिगर्त के नाम से जाना जाता था। यह नाम इसे तीन नदियों के मध्य स्थित होने के कारण दिया गया था। इसके मैदानी भागों को जालंधर कहा जाता था। इस पर हेमचंद्र लिखते हैं “जालंधरासित्रिगर्त” यानी जालंधर ही त्रिगर्त है। अपने उद्भव के बाद यह राज्य लगातार विस्तारित होता रहा और विकास क्रम में आगे बढ़ता रहा। इसके उद्भव एवं विकास में अनेक राजाओं की महत्वपूर्ण भूमिका रही जिनमें संसार चंद द्वितीय का नाम सबसे अहम है। इसी राजा के शासन काल में यह राज्य अपने विकास के शिखर पर पहुंचा इसकी सीमाएं विस्तारित हुई और पहाड़ों में कला एवं साहित्य का भी काफी विकास हुआ। इसी रियासत के शासक रूपचंद्र ने दिल्ली तक के राजाओं को लूटा। - निम्न में से कौन सा कथन सही नहीं है?
A)1405 ईस्वी में हरिचंद जब गद्दी पर बैठा उसके समय कांगड़ा राज्य दो भागों में विभक्त हो गया।
B)तैमूर के भारत आक्रमण के समय कांगड़ा में राजा मेघ चंद का शासन था
C)अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए हिमाचल में बौद्ध भिक्षु मझिम को भेजा था
D) चंबा का शासक साहिल बर्मन अकबर का समकालीन था
उतर-:D) चंबा का शासक साहिल बर्मन अकबर का समकालीन था
व्याख्या:- इसे आप सामान्य समझ के आधार पर हल कर सकते हैं। साहिल बर्मन 10 वीं सदी में जबकि अकबर 16वी और 17वी में शासक थे। - सी एफ कैनेडी के अनुसार निम्न में से किस शासक ने बुशहर की स्थापना की थी?
A)दनवर सिंह
B)सोनपाल
C)राजा खेरी सिंह
D)राम सिंह
उतर-:A)दनवर सिंह
व्याख्या:- सी एफ कैनेडी के अनुसार 1412 ईसवी में बुशहर रियासत की स्थापना बाहर से आए राजपूत शासक दनवर सिंह ने की थी। वहीं एक कहावत के अनुसार बुशहर पश्चिमी हिमालय मे कश्मीर के बाद सबसे प्राचीनतम रियासतों में से एक थी जिसकी स्थापना भगवान कृष्ण के सपुत्र प्रद्युमन द्वारा की गई थी। - किस राज्य के इतिहास में कीर जाति का वर्णन एक खूंखार, घुमक्कड़, जंगली तथा मूर्ति भंजक के रूप में मिलता है?
A)सिरमौर
B)बिलासपुर
C)कांगड़ा
D)चंबा
उतर-:D)चंबा
व्याख्या:- चंबा के इतिहास में कीरों को एक खूंखार जाती बताया गया है। लक्ष्मी बर्मन के समय चंबा में महामारी फैल गई थी। इस स्थिति का फायदा उठाकर कीरों ने चंबा पर आक्रमण किया और यहां के लोगों पर अत्याचार किए। ये लोग बाद में बैजनाथ मैं बस गए। इसी कारण बैजनाथ को किराग्राम की संज्ञा दी गई। - निम्नलिखित में से अकबर के विरुद्ध विद्रोह के दौरान कौन नूरपुर के शासक भक्तमल का सहयोगी था?
A)शेरशाह सूरी
B)बैरम खान
C)सिकंदरशाह सुर
D)सूरजमल
उतर-:C)सिकंदर शाह सुर
व्याख्या:- अकबर के शासन के आरंभिक वर्षों में शेरशाह सूरी के भतीजे सिकंदर शाह सुर और भक्तमल द्वारा अकबर के विरुद्ध विद्रोह किए गए। सिकंदर शाह सुर ने पंजाब पर हमला किया लेकिन पंजाब मे इसे मुगलों से हार का सामना करना पड़ा। हार जाने के बाद इसने शाहपुर के किले में शरण ली और नूरपुर रियासत के राजा भक्तमल को अपना सयोगी बनाया। विद्रोह को दबाने के लिए, व इन दोनों को सबक सिखाने के लिए अकबर ने बैरम खान के नेतृत्व में नूरपुर के लिए सेना भेजी वह भक्तमल एवं सिकंदर शाह सुर को परास्त किया गया। सिकंदर शाह सुर को माफ कर दिया गया लेकिन भक्तमल को बैरम खान द्वारा लाहौर में फांसी दे दी गई। भविष्य में ऐसे विद्रोह ना हो इससे से बचने के लिए अकबर ने अपने राज दरबार में राजाओं के सगे संबंधियों को रखने की प्रथा शुरू की। कांगड़ा किला अकबर के शासन काल से ही मुगलों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ था। इसी अभियान को आगे बढ़ाते हुए जहांगीर ने नूरपुर रियासत के शासक सूरजमल के नेतृत्व में सेना भेजकर नगरकोट के किले को जीतने का अभियान शुरु किया। सूरजमल ने मुगल सेना के विरुद्ध विद्रोह कर दिया और शाहपुर में स्थित मऊ कोट के किले में शरण ले ली। तत्पश्चात नगरकोट किला अभियान पर शेख फरीद मुर्त्ज़ा खान को भेजा गया, इन्हें भी असफलता मिली। बाद में शाह कुली खान को भी भेजा गया, इन्हें भी असफलता मिली, लेकिन अंत में 1620 में नूरपुर के शासक जगत सिंह के सहयोग से राय रिहान के न्रेतितव मे किला को कब्जे में लिया गया और नबाब अली खान को पहला किलेदार नियुक्त गया तथा कांगड़ा के अव्यस्क राजा हरिचंद कोटच हार का सामना करना पड़ा। - वर्तमान में स्वर्ण मंदिर के नाम से जाने जाने वाले हरमिंदर साहिब गुरुद्वारा बनाने के लिए निम्न में से किस सिख गुरु ने हिमाचल के पहाड़ी राजाओं से धन एकत्रित किया था?
A)गुरु अर्जुन देव
B)गुरु तेग बहादुर
C)गुरु हरगोबिंद सिंह
D)गुरु रामदास
उतर-:A)गुरु अर्जुन देव
व्याख्या:- गुरु अर्जुन देव सिक्खों के पांचवे गुरु हुए।इनकी प्रबल इच्छा अमृतसर में हरमंदिर साहिब गुरुद्वारा बनाने की थी। इसके लिए इन्होंने पहाड़ी राज्यों की यात्रा की व मंडी,कुल्लू व अन्य कुछ पहाड़ी रियासतों से धन एकत्रित कर गुरुद्वारे के निर्माण में लगया।मंडी के राजा और कुल्लू के राजा इनके शिष्य बन गए थे।
गुरु हरगोबिंद सिंह सिक्खों के छठे गुरु हुए इन्होंने भी कई बार पहाड़ी राज्यों की यात्रा की।एक बार यात्रा से वापसी के दौरान कहलूर के राजा द्वारा गुरु को सतलुज के तराई वाले क्षेत्र में एक जमीन का टुकड़ा दान दिया गया था। इसी जमीन पर गुरुजी ने बाद में किरतपुर की स्थापना की।
गुरु तेग बहादुर सिखों के नौवें गुरु हुए। एक बार कहलूर के राजा की मृत्यु पर शोक व्यक्त करने के लिए गुरु ने कहलूर की यात्रा की ।यात्रा के दौरान उन्होंने जमीन लेने की इच्छा प्रकट की। रानी ने इन्हें 3 गांव भेंट स्वरूप देने चाहे परंतु गुरु जी ने उसकी कीमत चुकाई और उसी दी गई जगह पर आनंदपुर साहब शहर विकसित किया।
अंत में मुगलों द्वारा इन्हें फांसी दी गई। गुरु रामदास का हिमाचल के राजाओं के साथ संबंध का कोई भी उल्लेख नहीं मिलता।
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