Important Questions for HPS Allied Services Mains (GS Paper-1) – X

Important Questions for HPS Allied Services Mains (GS Paper-1) – X

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  • राज्य में साइबर अपराधों की पहचान और नियंत्रण के लिए राज्य सरकार द्वारा क्या कदम उठाए गए हैं? व्याख्या करें।
    What steps have been taken by the state government to detect and control cyber crime in the state? Explain.
    (4 marks, 60 words)

    उतर:- राज्य सरकार द्वारा राज्य में बढ़ते साइबर अपराधों की पहचान व नियंत्रण के लिए निम्न कदम उठाए गए हैं:-
    1.सूचना तकनीकी को बेहतर करने के लिए राज्य में सूचना तकनीकी पॉलिसी 2000 लागू की गई है।
    2.राज्य में उच्च स्तरीय साइबर अपराधों को रोकने के लिए पुलिस मुख्यालय में साइबर पुलिस स्टेशन की स्थापना की गई है।
    3.साइबर अपराधों की बेहतर निगरानी के लिए राज्य के अधिकतर थानों को सीसीटीएनएस प्रोजेक्ट से जोड़ा गया है।
    4.साइबर अपराधियों के विषय में लोगों के मध्य जागरूकता लाने व सभी विभागों के मध्य समन्वय स्थापित करने के लिए राज्य में साइबर अपराध समन्वय केंद्र स्थापित क्या जा रहा है।
    5.साइबर फॉरेंसिक एंड डिजिटल लैब की जुंनगा, मंडी और धर्मशाला में स्थापना की गई है।
    6.आईपीसी और आईटी एक्ट की विभिन्न धाराओं के अंतर्गत सजा का भी प्रावधान है।
  • भू-सुधारअधिनियमों से कैसे राज्य के भूमिहीन कृषि श्रमिकों को लाभ मिला?टिप्पणी करें।
    How did the landless agricultural labourers of the State get benefited from the land reform acts? Discuss.
    (4 marks, 60 words)

    उतर:- भू-संपदा अधिनियम 1953, हिमाचल प्रदेश भूमि परिसीमन कानून 1972 व हिमाचल प्रदेश भू-सुधार अधिनियम 1972 भू-सुधार के क्षेत्र में मील का पत्थर माने जाते हैं। इन कानूनों के अंतर्गत मुजारों के तौर पर जमीदारों के पास काम करने वाले भूमिहीन कृषि श्रमिकों को जमीन का मालिकाना हक मिला। भू संपदा अधिनियम 1953 के अंतर्गत भूमिहीन कृषि श्रमिक जमीदारों को निश्चित मुआवजा देकर भूमि के एक निश्चित हिस्से का मालिकाना हक प्राप्त कर सकते थे।दूसरी तरफ भू सुधार अधिनियम 1972 के माध्यम से सरकार ने बड़े जमीदारों की जमीनों का परिसीमान कर जमीने भूमिहीन कृषि श्रमिकों में बांट दी और परती भूमि पर भी उन्हें खेती करने का अधिकार दिया गया। इससे राज्य के लगभग 5 लाख किसानों को फायदा मिला।
  • राज्य सरकार की किन्ही चार योजनाओं का नाम बताओ जो विशेष रूप से राज्य में अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए बनाई गई है।
    Name any of four schemes of the state government exclusively designed for upliftment of scheduled caste in the state.
    (4 marks, 60 words)

    उतर-: राज्य में अनुसूचित जातियों के उत्थान के लिए योजनाएं:-
    1.राज्य में अनुसूचित जातियों के उन लोगों के लिए जिनकी वार्षिक आय 35,000 से कम है उन्हे गृह निर्माण के लिए गृह निर्माण अनुदान योजना के अंतर्गत ₹1,30,000 की राशि दी जाती है।
    2.अनुसूचित जातियों व गैर अनुसूचित जातियों के लोगों के मध्य जातीय भेदभाव को कम करने के लिए अंतरजातीय विवाह हतू ₹50000 की प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
    3.अनुसूचित जातियो के खिलाफ अपराध व क्रूरता के लिए मुआवजा राशि 50000 से लेकर 7.5 लाख तक देने का प्रावधान है।
    4.60,000 से कम वार्षिक आय वाले अनुसूचित जाति के छात्रों को सरकार द्वारा कंप्यूटर प्रशिक्षण के लिए 1000 रूपए मासिक दिया जाता है।
  • राज्य में मादक द्रव्यों की रोकथाम के लिए प्रमुख बाधाएं क्या है? उनका कैसे समाधान किया जा सकता है? चर्चा करें।
    What are the major hurdles to control drug menace in the state how can they be addressed? Discuss.
    (8 marks, 120 words)

    उतर:- राज्य में युवाओं के बीच नशे की लत वह मादक द्रव्य का गैर कानूनी व्यापार एवं कालाबाजारी राज्य में एक गंभीर समस्या बनी हुई है। राज्य सरकार द्वारा इन्हें रोकने के लिए प्रयास किए गए हैं लेकिन बहुत कुछ किया जाना बाकी है।
    इसे रोकने में प्रमुख बाधाएं हैं-:
    1.कानूनी संस्थाओं के मध्य आपसी तालमेल, अच्छे प्रशिक्षण, विशेषज्ञता, उचित कौशल व आधारभूत अबसंरचनात्मक विकास की कमी।
    2.मादक द्रव्यों के सेवन संबंधी पर्याप्त आंकड़ों की कमी।
    3.कानूनी संस्थाओं द्वारा मादक द्रव्यों की मांग कम करने पर बहुत कम प्रयास।
    4.मादक द्रव्यों की कालाबाजारी में विदेशियों व बच्चों का शामिल होना।
    5.मजबूत राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी व वोट बैंक की राजनीति।
    इसे समाधान के प्रमुख उपाय हैं:-
    1.कानूनी संस्थाओं के आधुनिकीकरण व आपसी तालमेल पर बल दिया जाना चाहिए।
    2.अफीम एवं भांग की अवैध खेती पर पूर्ण प्रतिबंध लगानी चाहिए।इसके लिए एक सूचना एजेंसी के रूप में पटवारी की भूमिका को सुनिश्चित किया जा सकता है।
    3.लोगों को इसके बुरे प्रभावों के बारे में जागरूक किया जाना चाहिए। इसके लिए स्कूलों और कॉलेजों में जागरूकता कैंप लगाए जा सकते हैं।
    4.अभिभावकों, अध्यापकों एवं पंचायत प्रतिनिधियों की भूमिका अहम हो सकती है। इनके लिए भी विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया जाना चाहिए।
    5.अंतर्राराजिय अवैध तस्करी को रोकने के लिए अंतर्राराजिय सयोग पर जोर दिया जाना चाहिए। हाल ही में हिमाचल, पंजाब, हरियाणा व उत्तराखंड सरकार द्वारा अंतर्राराजिय मादक द्रव्य की अवैध तस्करी को रोकने का निर्णय एक सही दिशा में लिया गया कदम है।
    मादक द्रव्यों का बढ़ता प्रचलन यद्यपि एक बड़ी चुनौती बन गया है। लेकिन संबंधित संस्थाओं के आपसी सहयोग, निगरानी तंत्र की मजबूती और दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति से इस पर काबू पाया जा सकता है।
  • एकल प्रशासनिक तंत्र व जनजातीय उप-योजना हिमाचल में कहां तक जनजातियों के उत्थान में सफल सिद्ध हुई है?
    To what extent have Single Line Administration and Tribal Sub-Plan been successful in upliftment of scheduled tribes of the state.
    (8 marks, 120 words)

    उतर:- जनजातीय क्षेत्रों के तीव्र सामाजिक-आर्थिक विकास के लिए एकल रेखीय प्रशासनिक तंत्र व जनजातीय उपयोजना की शुरुआत की गई।
    एक रेखीय प्रशासन में सभी विभागों को जिलाधीशों अथवा उप-जिलाधीशों के सीधे नियंत्रण में लाया गया है व योजनाओं और नीतियों संबंधी अहम फैसलों में जिलाधीशों की मुख्य भूमिका रखी गई है। इससे प्रशासन में एकरूपता बढ़ी है वह अलग-अलग विभागों से मंजूरी लेने की लंबी प्रक्रिया को सरल बनाया गया है इससे कहा जा सकता है कि एकल रेखीय प्रशासन से जनजातियों के उत्थान को बल मिला है।
    दूसरी तरफ जनजातीय उपयोजना के अन्तर्गत विशेष रूप से एक निश्चित राशि जनजातीय क्षेत्रों व जनजातिय जनसंख्या के विकास के लिए स्वीकृत की जाती है। पांचवी पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत एसी प्रायोजित राशि 2052 करोड़ थी जो राज्य की कुल योजना व्यय का 9% था। इससे यह साफ तौर पर समझा जा सकता है कि जनजातीय उपयोजना से जनजातीय जनसंख्या के लक्षित विकास को बल मिला है।
    योजनाओं की वास्तविक सफलता को उनके जमीनी स्तर पर खरा उतरने से समझा जाता है। लेकिन जमीनी स्तर के आंकड़ों का अभाव होने से इन योजनाओं की सफलता का अनुमान ही लगाया जा सकता है वास्तविक मूल्यांकन नहीं।

परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण अन्य तथ्य:- एकल रेखीय प्रशासन की स्थापना 1986 में पांगी में की गई थी। तत्पश्चात 1988 में इसकी स्थापना भरमौर, किन्नौर व लाहौल एवं स्पीति की गई । जनजातीय उपयोजना की शुरुआत पांचवी पंचवर्षीय योजना के दौरान 1974-75 में की गई थी। 1987-88 में इसे हिमाचल की सभी जनजातीय जनसंख्या के लिए लागू किया गया।

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