Kangra Fort : Kangra-Himachal Pradesh

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कांगड़ा किला : कांगड़ा का किला कटोच वंश के संस्थापक भूमा चन्द द्वारा बनाया गया था। यह किला धर्मशाला से 20 किलोमीटर दूर बाणगंगा नदी के किनारे 350 फुट की ऊंचाई पर स्थित है।

लम्बे समय तक यह किला उत्तरी भारत के शासकों के आकर्षण का केन्द्र रहा और इस किले पर अनेक हमले हुए हैं। इस किले पर पहला आक्रमण काश्मीर के राजा श्रेष्ठ द्वारा 470 ई. में किया गया।

1009 ई. में मुहम्मद गज़नी ने कांगड़ा के किला को लूटा जहाँ से वह अपने साथ 7 लाख सोने के सिक्के,700 मन (28 टन) सोने चांदी के बने बर्तन, 20 मन (8 टन) हीरे और मोती ले गया।

1337 ई. में मुहम्मद तुगलक और 1357 ई. में फिरोज शाह ने कांगड़ा किले को अपने कब्जे में लिया।

1540 ई. में शेर शाह सूरी के एक कमांडर ने इसे कब्जे में लिया।

1620 में, अकबर के पुत्र जहांगीर ने चंबा के राजा (जो इस क्षेत्र के सभी राजाओ में सबसे बड़े थे) को मजबूर करके इस किले पर कब्ज़ा कर लिया। मुग़ल सम्राट जहांगीर ने सूरज मल की सहायता से अपने सैनिकों को इस किले प्रवेश करवाया था।

1780-81 ई. में यह जस्सा सिंह कन्हैया के नियन्त्रण में आया और 1786 ई. में महाराजा संसार चन्द द्वितीय के नियन्त्रण में आया। 1846 ई. में कांगड़ा किला ब्रिटिश के हाथों में चला गया।

कांगड़ा किला में किले के अगले आंगन में लक्ष्मी नारायण और आदीनाथ के मन्दिर जैन धर्म को समर्पित हैं। किले के भीतर दो तालाब हैं, उनमें से एक को ‘कपूर सागर’ कहा जाता है।

इस समय किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अधीन है। यह 1905 ई. के भूचाल में बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया था। चार- ताबो का बौद्ध मठ, मसरूर के चट्टान से कटे मन्दिर, कांगड़ा किला और मनाली में हिडिम्बा देवी का मन्दिर को 2012 ई. में विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। यह बात प्रदेश को विश्व धरोहर के पर्यटन के बड़े पर्दे पर लाने में सहायता करेगी।

Kangra Fort : Kangra-Himachal Pradesh

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