बूढ़ी दिवाली | निरमण्ड की बूढ़ी दिवाली : जिला कुल्लू
यह दिवाली प्राचीन काल से कुल्लू क्षेत्र में मनायी जाती है। इस दीवाली का दीपावली से कोई संबंध नहीं है। यह दीपावली से ठीक एक मास बाद मार्गशीर्ष की अमावस्या को मनाई जाती है। रात्रि को भिन्न-भिन्न दिशाओं से मशालों के साथ लोग आते हैं। जिस स्थान पर अग्नि प्रज्जवलित होती है पहुंच कर वे आपस में मशालों के साथ संघर्ष करते हैं।
इसको इन्द्र तथा वृत संघर्ष की पुनरावृति समझा जाता है। कुछ इसे सहस्त्रबाहू, परशुराम युद्ध से जोड़ते हैं। अन्य इसे खशों का कोलियों पर विजय संघर्ष की संज्ञा देते हैं। इस युद्ध में कोली और खश ही भाग लेते हैं।
इस प्रकार दिवाली बाहरी सिराज में दलाश, निरमण्ड तथा अन्य कई स्थानों पर मनाई जाती है। इनमें सबसे अधिक प्रसिद्ध निरमण्ड की दिवाली है।
निरमण्ड की बूढ़ी दिवाली :
यह दीपावली के ठीक एक मास बाद अमावस्या को मनाया जाता है। यह दशनामी अखाड़े में मनायी जाती है। पांच बड़े लकड़ का अलाव जलाया जाता है। ब्राह्मण बाद्य वादन के मध्य अग्नि पूजन करते हैं तथा नाचते हैं।
काव के नौ खण्ड होते हैं। जिनमें रामायण महाभारत की घटनाओं का उल्लेख होता है। खश और कोली भिन्न-भिन्न दिशाओं से मशालें लिये आते हैं पहले दानव आते हैं यह पांच चक्कर लगाकर हट जाते हैं।
गढ़िया के आने पर टकराव होता है। गढ़िया खश जाति के होते हैं। जिनका मुखिय गांव का ठाकुर होता है। गढ़िया तीसरे खण्ड पर प्रवेश करते हैं। इस समय काव का गाना बंद कर दिया जाता है फिर एक दूसरे पर जलती मशालों (डांगरियों) से वार करते हैं। दिन के समय अगले दो दिन मेला लगता है।
बूढ़ी दिवाली | निरमण्ड की बूढ़ी दिवाली : जिला कुल्लू
Read Also : Geography of Himachal Pradesh
- Himachal Pradesh GK MCQ Part -1
- IDBI Bank Ltd Specialist Cadre Officers Recruitment 2025 – Apply Online
- HP CU Dharamshala Finance Officer Recruitment 2025
- HPU Shimla All Latest Notifications -April 2025
- HPBOSE D.El.Ed./JBT Entrance Exam Question Paper Pdf June 2024