पीपल जातर (Peepal Jaatar) ढालपुर-जिला कुल्लू
हिमाचल प्रदेश को देवभूमि कहा जाता है। यहाँ हर गांव में देवताओं का निवास स्थान होता है। देवताओं के साथ कोई न कोई मेला अवश्य जुड़ा होता है। जहाँ मेले होतें हैं वहां देवताओं का आना भी आवशयक होता है। इस तरह जगह-जगह , गांव-गांव में मेलों का आयोजन होता है।
आज हम जिला कुल्लू के ढालपुर मैदान में मनाया जाने वाला “पीपल जातर ” मेले के बारे में जानकारी देने जा रहें हैं।
पीपल जातर :
यह मेला अप्रैल मास के अन्तिम दिनों में ढालपुर के मैदान में मनाया जाता है। यहाँ पर एक पीपल और चबूतरा होता था। चबूतरे पर कुल्लू राजा अपने दरबारियों के साथ मेला देखता था और पीपल के सामने नाटी होती थी। उस पीपल के नाम से मेला”पीपल जातर” कहलाया।
राये री जाच :
इस मेले को ‘राये री जाच’ भी कहा जाता है क्योंकि राये रूपी इस मेले में विशेष रथ में दरबारी वैभव के साथ बैठते थे। लोगों को उन्हें दर्शन करने और मिलने का अवसर मिलता था। किसी समय इस मेले में 16 देवता भाग लेते थे परन्तु अब केवल बिजली महादेव ही आता है।
वस्तुओं की खरीदारी :
इस मेले के समय ऋतु खुल जाती है। फसलों का कार्य भी नहीं होता है। इसलिये मेले के लिये उपयुक्त समय होता है। इस मेले का व्यापारिक महत्व भी है। लाहुल के लोग सर्दियां कुल्लू गुजार कर लौटने लगते हैं। वे अपनी आवश्यकता की वस्तुयें इस मेला में खरीदते हैं।
कुछ समय से इस मेले को बसन्तोत्सव के रूप में मनाया जा रहा है जिसमें कई सांस्कृतिक गतिविधियां भी होती हैं।
पीपल जातर (Peepal Jaatar) ढालपुर-जिला कुल्लू
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