Traditional Dress of Himachal Pradesh | हिमाचल प्रदेश का पहनावा
Traditional Dresses of Himachal Pradesh
जिस प्रकार प्रदेश के निम्न, मध्य और ऊपरी भाग में भौगोलिक विभिन्नता पाई जाती है, वैसे ही वेष भूषा में भी पाई जाती है। इसके कारण भी भैगोलिक हैं क्योंकि निम्न क्षेत्र ज्यादा ठण्डे नहीं, मध्य क्षेत्र ठण्डे हैं और ऊपरी क्षेत्र अधिक ठण्डे हैं। अत: वहां गर्म ऊनी वस्त्रों का प्रयोग न चाहते हुए भी अनिवार्य है। इसके अतिरिक्त निम्न क्षेत्रों पर, और अब यातायात के प्रचुर साधन हो जाने पर अन्य क्षेत्रों पर समीपस्थ मैदानों के क्षेत्रों की वेष भूषा का प्रभाव भी पड़ता है गदिदयों का चोला जो लम्बे कोट की भांति पूर्णतया ऊन का बना होता है, (विशेष प्रकार से निर्मित ऊन की चादर जो कमर से नीचे बांधी जाती है और ढियाठु (स्त्रियों द्वारा पहने जाने वाला रेजआ (लम्बा बन्द कोटनुमा वस्त्र जो पैरों तक शरीर को ढांपता है) और निम्न भागों में विशेष उत्सवों पर पहने जाने वाला लंहगां हिमाचलीय वेष के विशेष प्रतीक हैं।
पुरूषों के पहाड़ी लिबास में बुशैहरी टोपी और कोटनुमा ‘लोइए का विशेष स्थान हैं । इस के ऊपर मोनाल पक्षी के पंख का जड़ा जाना समृद्धि का प्रतीक है। परन्तु अब अधिकतर मैदानों की भांति स्त्रियां, कमीज, सलवार या विशेष अवसरों पर साड़ी और पुरूष कमीज पाजामा या पैंट कोट पहनते हैं। विशेष उत्सवों और नृत्यों आदि में चूड़ीदार पाजामा भी पहना जाता है। शिक्षा तथा शहरीकरण ने प्रदेश के सभी भागों में वेष भूषा में व्यापक परिवर्तन ला दिए हैं।
चोला और डोरा (गद्दी लोगों का पहनावा )
चोला और डोरा गद्दी लोगों का प्रमुख पहनावा है। गद्दी पुरुषों द्वारा सूती वस्त्र के ऊपर ऊन से बना एक चोला पहना जाता हैं। ये चोला आमतौर पर ऊन से बने हुए पटू से बनाया जाता है। यह सफेद या हल्के भूरे रंग का चोला होता है। गद्दी महिलाएँ एक विशेष प्रकार का पहनावा जिसे डोरा कहते हैं, अपने कमर के चारों ओर बाँध के रखती हैं। ये ऊन से बनी लंबी काले रंग की रस्सी होती है जिसे ये गात्री कहते हैं। गद्दी लोग इसे शिवजी की रस्सी कहते हैं।
टोपी :
हिमाचल में टोपी पहनने का विशेष प्रचलन है। कुल्लुवी टोपी, किन्नौरी टोपी और बुशहरी टोपी हिमाचल की प्रसिद्ध टोपी है जो पुरुषों द्वारा सिर में पहनी जाती है। यह ऊन से बनाई जाती है।
किन्नौरी पोशाक :
किन्नौरी पुरुषों द्वारा ऊन की कुर्ती चमू पहना जाता है। चमू का अर्थ ऊन होता है जैसे चमू कुर्ता (ऊनी कमीज), छुबा (कोट) तथा चमू सूथन (ऊनी पायजामा)। स्त्रियों तथा पुरुषों दोनों में ही हिमाचली टोपी जिसे ठेपांग कहते हैं, पहनी जाती हैं। किन्नौरी महिलाएँ चामू कुरती, चामू सूथन, ठेपांग, चोली और गचांग चानली पहनती हैं। यहाँ पुरुष छुबा सुतूका, सुथन, शिऊ, केरा यंगलुक और गोलक आदि पहनते हैं। किन्नर महिलाएँ एक तरह की ऊनी साड़ी पहनती हैं जिसे धुबा घेरू कहते हैं। किन्नौरी पुरुष लंबे-लंबे चोगे पहनते हैं जिसे चमू सूथन कहते हैं। किन्नौरी लोगों के जूते ऊन तथा बकरी के बालों से बने होते हैं। ये लोग ठेपांग या हरी पट्टी बुशहरी टोपी पहनते हैं जिसमें ‘टिकेमा’ का फूल लगाया जाता है।
ढाठू :
ढाठू हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों मंडी, कुल्लू , शिमला, सिरमौर क्षेत्र में महिलाओं द्वारा सिर पर बाँधने वाला एक कपड़ा है। ऊपरी हिमाचल की अधिकतर महिलाएँ ढाठु पहनती है।
पटू :
पट्टू खासकर जिला कुल्लू की महिलाएं पहनती है । यह शॉल की तरह होता है लेकिन यह शॉल से भारी और मोटा होता है। पट्टू को चांदी के एक आभूषण बूमिनी से स्टिच किया जाता है । और साथ मे कमर में गाची को बांधा जाता है।
लोइया :
शिमला सिरमौर में पुरुषों द्वारा प्रयोग किया जाने वाला ऊनी चोगा जिसे कंधे तथा हाथों से पीठ पर सँभाला जाता है, लोइया कहलाता है। लोइया नाम ‘लियो’ शब्द से लिया गया है जिसका अर्थ कम्बल या चद्दर है। हि.प्र. विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह में लोइया व पहाड़ी टोपी को पहनाया जाता है।
अन्य पारंपरिक पहनावे :
लाहौल की औरतों का पारम्परिक पोशाक को चोलू कहा जाता है। इसमें कोई डिज़ाइन नही बना होता। हिमाचल के पहाड़ी क्षेत्रों में घास या अन्य रेशों से बने जूते जिसे पुला कहा जाता है को भी पहनते है।
Traditional Dress of Himachal Pradesh | हिमाचल प्रदेश का पहनावा
Also Read : Folk Dances of Himachal Pradesh
- HP Patwari Exam Question Paper 2019 Pdf
- DC Office Shimla Drivers Recruitment 2022
- JSV (IPH) Division Padhar Fitter, Pump Operator And MPW Recruitment 2022
- HP Current Affairs (हिमाचल प्रदेश कर्रेंट अफेयर्स) -4th Week of July 2022
- Jal Shakti (IPH) Division Thunag Fitter, Pump Operator & Multipurpose Worker Recruitment 2022