Important Questions for HPS Allied Services Main – VI

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प्रश्न संख्या 1 से 5 तक , 4 अंकों के है ( शब्द सीमा 60 शब्द )

1.हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या की प्रमुख विशेषताओं पर चर्चा करें।
Discuss the major characteristics of population of Himachal Pradesh.

उतर-: हिमाचल जनसंख्या की दृष्टि से भारत का 21वां राज्य है। इसकी विशेषताएं निम्न हैं-:
1.हिमाचल की 70 % जनसंख्या कृषि व संबंधित क्षेत्र में रोजगार पाती है। 90% गांव में व 10 % लोग शहरों में रहते हैं।
2.राज्य में जनसंख्या का अनुपात 1000 पुरुषों पर 974 महिलाएं हैं।
3.राज्य की 83.78% जनसंख्या साक्षर है, जिसमें 90.83 % पुरुष साक्षर है, जबकि 76.6% महिलाएं साक्षर है।
4.राज्य में प्रति 1 वर्ग किलोमीटर में 123 व्यक्ति रहते हैं, जबकि राज्य में पिछले दशक में जनसंख्या की वृद्धि दर 12.83% रही है।

2.हिमाचल में शहरीकरण के स्वरूप पर चर्चा करें।
Discuss the pattern of urbanization in Himachal Pradesh.

उतर-: जनसंख्या प्रतिशत संदर्भ में 10.04% शहरी जनसंख्या के साथ हिमाचल प्रदेश देश का सबसे कम शहरीकरण वाला राज्य है। राज्य में छोटे शहर व कस्बे हैं, जो अधिकतर प्रशासनिक, धार्मिक वह पर्यटन गतिविधियों के कारण शहरीकरण का हिस्सा बन गए हैं। हिमाचल में शिमला और धर्मशाला को छोड़कर किसी भी कस्बे की जनसंख्या पचास हजार से ऊपर नहीं है।राज्य में बरोटीवाला, नालागढ़ तथा बद्दी में उद्योगों की स्थापना से यंहा शहरीकरण को बढ़ावा मिला है।शहरीकरण की दृष्टि से सोलन भी हिमाचल का एक प्रमुख कस्बा है।

3.हिमाचल प्रदेश की वन नीति 2005 पर संक्षिप्त नोट लिखें।
Write a brief note on forest policy 2005 of Himachal Pradesh.

उतर:- वन नीति 2005 राज्य सरकार की वन प्रबंधन से जुड़ी एक बहु-आयामी योजना है।
1.इसके अंतर्गत बहु संस्थानिक समन्वय पर जोर दिया गया है।
2.वनावरण को कुल क्षेत्र का 35% करने का लक्ष्य रखा गया है।
3.वनों का अलग से वर्गीकरण निर्धारित किया गया है।
4.इसमें वन उत्पादों से जुड़े हुए लोगों के जीवन निर्वाह का भी ध्यान रखा गया है।
5.इसके माध्यम से राज्य में औषधीय पौधों के विकास पर जोर, महिलाओं की भागीदारी व जैव विविधता को बढ़ावा देना सुनिश्चित किया गया है।
6.योजनाबद्ध तरीकों से वन आवरण में वृद्धि वनों को आग से बचाने की योजना व जल संभर क्षेत्र का उचित प्रबंधन के साथ वनो के सतत विकास पर बल दिया गया है।

4.हिमाचल प्रदेश की पर्यटन निती 2005 पर संक्षिप्त नोट लिखें।
Write a short note on tourism policy 2005 of Himachal Pradesh.

उतर:- राज्य को अग्रणी पर्यटक गंतव्य बनाने के लिए वर्ष 2005 में हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा पर्यटन नीति को मंजूरी दी गई।
1.इसके अंतर्गत सतत पर्यटन को बढ़ावा देख कर पर्यावरण सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करना।
2.निजी क्षेत्र की सहभागिता सुनिश्चित करके इस क्षेत्र में निवेश प्राप्त करने पर जोर दिया गया है।
3.राज्य में विरासत क्षेत्रों को चिन्हित कर विरासत पर्यटन को राज्य में बढ़ावा देना भी इसमे शामिल है।
4.राज्य में पर्यटन के नए आयामों की खोज करना। राज्य में पर्यटन के माध्यम से रोजगार व आय के नए साधन खोजने पर बल देना भी शामिल है।

5.हिमाचल प्रदेश में कौन से उद्योग क्षेत्र हैं और उनमें कौन-कौन से बड़े उद्योग हैं?
Which are the main industrial area in HP and which are the major industries in them?

उतर-: राज्य में बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, परवानू एवं सोलन कुछ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें दवा निर्माण व इलेक्ट्रोनिक उपकरण निर्माण बड़े उद्योग हैं। इसके अलावा राज्य में सीमेंट उद्योग भी स्थापित किए गए हैं जिनमें दाड़लाघाट, राजवन, बरमाणा आदि शामिल है। कुल्लू में शमशी औद्योगिक क्षेत्र है व ऊना के महत्तपूर में शराब उद्योग स्थापित किया गया है। इसके अलावा राज्य में पर्यटन को भी एक उद्योग के रूप में स्वीकृति दी गई है। राज्य में मनाली, शिमला, धर्मशाला और डलहौजी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हुए हैं।

6.हिमाचल की जोखिम संवेदनशीलता क्या है? राज्य के प्रमुख जोखिमो क्षेत्रों का उल्लेख करते हुए इसके बचाव के उपाय बताएं।
What is the hazard vulnerability of Himachal? Explain the major hazards and their mitigation in the state.
(8 marks, 120)

उतर-: किसी क्षेत्र की जोखिम संवेदनशीलता का अर्थ उस क्षेत्र का आने वाले संकट के प्रति सुरक्षित न होना है।
हिमाचल में भी ऐसे कई संकट, जैसे, बाढ़, भूस्खलन, हिमस्खलन, सूखा और बादल फटना आदि की संभावनाएं हमेशा बनी रहती है और हिमाचल भूकंप जोन 4 और 5 में स्थित है।इसी को हिमाचल की जोखिम संवेदनशीलता कहा जाता है।
एक तरफ जहां कांगड़ा में भूकंप आने की अधिक संभावना रहती है, वहीं ऊना हर वर्ष बाढ़ और सुखे का शिकार होता है। किन्नौर में हर वर्ष भूस्खलन घटनाएं होती है, वहीं दूसरी तरफ पांगी और लाहौल-स्पीति के ऊपरी क्षेत्रों में हिमस्खलन की घटनाएँ होती रह्ती है। हिमाचल की मुश्किल भौगोलिक संरचना के कारण अलग-अलग हिस्सों में सड़क हादसो व जंगलों में आग लगने की संभावनाएं भी बनी रहती है, तो कहीं बादल फटने की आशंका।ये संकट मानव जनित व प्राकृतिक कारको से हो सकते हैं। इनमें से कुछ को रोका जा सकता है, जबकि कुछ से सिर्फ बचा जा सकता है।
इनसे बचने के उपाय हैं-:
1.भूमि उपयोग की योजना तैयार करना।
2.जोखिम क्षेत्रों में बसाबट को रोकना।
3.भूकंप रोधी भवन निर्माण।
4.आने वाले जोखिम की संभावनाओं से बचने की पहले से तैयारी करना।
5.सामुदायिक जागरूकता और शिक्षा।

7.हिमाचल प्रदेश की औद्योगिक नीति क्या है? राज्य में उद्योग क्षेत्र का विस्तार से परिचय देते हुए इसके विकास की संभावनाओं पर चर्चा करें।
What is the industrial policy of Himachal Pradesh? Giving a detailed account of industry sector, discuss its prospects in the state? (20 marks, 400 words)

उतर-: राज्य में औद्योगिक निवेश व उद्योग विस्तार के लिए सरकार द्वारा वर्ष 2013 में नई औद्योगिक नीति अपनाई गई है।इसका मुख्य लक्ष्य हिमाचल प्रदेश को एक आदर्श औद्योगिक राज्य बनना है। इसके माध्यम से सरकार द्वारा राज्य में धारणीय व समावेशी विकास एवं पर्यावरण पहलुओं को केंद्र में रखकर राज्य की आय बढ़ाने व राज्य में नए रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाने पर बल दिया गया है।
इसके प्रमुख लक्ष्यों में शामिल है-:
1.पर्यावरण मानकों को केंद्र में रखते हुए धारणिया औद्योगिक विकास हासिल करना।
2.उद्योग क्षेत्र में 15% वार्षिक वृद्धि दर का लक्ष्य हासिल करना।
3.2022 तक विनिर्माण क्षेत्र के योगदान को सकल राज्य घरेलू उत्पाद के 25% तक पहुंचाना।
4.सिंगल विंडो क्लीयरेंस के माध्यम से उद्योग क्षेत्र के लिए व्यापार सुगमता और समयबद्ध सेवाएं उपलब्ध करवाना।
5.विनिर्मित उत्पादों के लिए परिवहन की उचित सुविधा उपलब्ध करवाना।
6.अनुसंधान व औद्योगिक अपशिष्ट निवारण के साथ-साथ जल की उपलब्धता व इसके उचित प्रबंधन पर जोर।
7.राज्य में कौशल विकास को बढ़ावा देकर रोजगार के नए अवसर उपलब्ध करवाना।
औद्योगिक क्षेत्र का परिचय-:
हिमाचल प्रदेश देश के सबसे उन्नत सामाजिक-आर्थिक विकास वाले राज्यों में से एक है। औद्योगिक प्रगति किसी क्षेत्र के आर्थिक विकास का सबसे महत्वपूर्ण संकेतक होता है। मुख्य औद्योगिक उत्पादन अर्थव्यवस्था के द्वितीयक क्षेत्रक का हिस्सा होता है, जिसमें विनिर्माण, निर्माण, बिजली, गैस और जलापूर्ति आदि शामिल रह्ती है। इसका योगदान बर्ष 2017-18 के दौरान, सकल राज्य घरेलू उत्पाद(GSDP) में 43.01 प्रतिशत था। जबकि इस क्षेत्र में वार्षिक वृद्धि 6.2 प्रतिशत थी।
हिमाचल में 40 बड़ी औद्योगिक इकाइयां, 522 मध्यम एवं 48 हजार के करीब लघु औद्योगिक इकाइयां हैं। जिसमें सबसे अधिक बड़ी व मद्धयम इकाइयां सोलन जिले में स्थित है। जबकि लघु इकाइयों की अधिकता कांगड़ा जिले में है। राज्य में बद्दी, बरोटीवाला, नालागढ़, परवानू एवं सोलन कुछ प्रमुख औद्योगिक क्षेत्र हैं। जिनमें दवा निर्माण व इलेक्ट्रोनिक उपकरण निर्माण आदि बड़े उद्योग शामिल है। इसके अलावा राज्य में सीमेंट उद्योग भी स्थापित किए गए हैं, जिनमें दाड़लाघाट, राजवन, बरमाणा आदि शामिल है। कुल्लू में शमशी औद्योगिक क्षेत्र है व ऊना के महत्तपूर में शराब उद्योग स्थापित किया गया है। इसके अलावा राज्य में पर्यटन को भी एक उद्योग के रूप में स्वीकृति दी गई है। इससे राज्य में मनाली, शिमला, धर्मशाला और डलहौजी पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित हुए हैं।
राज्य में औद्योगिक विकास की संभावनाएं-:
हिमालय की गोद में बसा छोटा सा राज्य हिमाचल उद्योग की अपार संभावनाओं को अपने आप में संजोए हुए हैं। हालांकि इसकी मुश्किल भौगोलिक संरचना के कारण यहां पर बड़े उद्योगों को विकसित करना आसान नहीं है लेकिन मध्यम व लघु उद्योगों को विकसित करने की प्रदेश में अपार संभावनाएं हैं। प्राकृतिक उत्पादों पर भी अनुसंधान और विकास की आवश्यकता है।
पिछले कुछ वर्षों में राज्य में उद्योग क्षेत्र का काफ़ी विकास हुआ है।जहां 1950-51 में औद्योगिक क्षेत्र का योगदान राज्य सकल घरेलू उत्पाद में सिर्फ 1% था, वंही वर्ष 2017-18 में यह बढ़कर 29% के हो गया है।औद्योगिक विकास काफी हद तक कच्चे माल की उपलब्धता, परिवहन की सुविधा, बाजार तक पहुंच, जल और विद्युत की उपलब्धता, पूँजी निवेश और रोजगार की संभावनाओं पर निर्भर करता है। राज्य में जल और विद्युत की सुविधा के अलावा बाकी सब से सीमीत रुप में विद्यमान है।दूसरी तरफ मुश्किल भौगोलिक संरचना एवं पर्यावरणीय संवेदनशीलता औद्योगिक विकास की राह में प्रमुख वाधा है। इस कारण राज्य में बड़े उद्योगों को स्थापित किए जाने की संभावनाएं बहुत हद तक सीमित है। लेकिन राज्य के लगभग सभी जिलों में छोटे व मध्यम उद्योग स्थापित किए जाने की अपार संभावनाएं है। इसके अलावा राज्य में पर्यटन, मछली उत्पादन, कृषि प्रसंस्करण उद्योग, फल प्रसंस्करण उद्योग, खादी उद्योग, हथकरघा उद्योग, दुग्ध उत्पादन उद्योग, को बढ़ावा दिया जा सकता है। बहुत सारे सर्वे बताते हैं कि राज्य में खनिज संपदा के अपार भंडार है। इसीलिए खनिज आधारित उद्योगों को विकसित करने पर भी बल दिया जा सकता है। राज्य में प्राकृतिक गैस के पाय जाने की बात भी सामने आई है। इस क्षेत्र में भी उद्योग स्थापित किए जाने की संभावनाएं खोजी जा सकती है।
राज्य की भौगोलिक स्थिति व पर्यावरणीय चिंताओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को छोटे व मध्यम उद्योगों की स्थापना के लिए पूंजी निवेश पर बल देना चाहिए इससे राज्य में रोजगार की संभावनाओं के साथ-साथ राज्य के आय संसाधनों में भी वृद्धि होगी एवम औद्योगिक नीति के तहत रखे गए प्रमुख लक्ष्यों को भी हासिल किया सकेगा।

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