Brief Geography of District Mandi – HP

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मुख्यालय – मंडी (समुद्रतल से ऊँचाई – 754 मीटर)
भाषाएं :मंडयाली, सुकेती व हिन्दी,सराजी
कुल क्षेत्रफल – 3950 वर्ग किलोमीटर

भौगोलिक स्थिति :

मंडी जिला हिमाचल प्रदेश के मध्य भाग में स्थित है। यह जिला 31° 13′ 50” से 32° 04′ 30” उत्तरी अक्षांश तथा 76° 37’20” व 77° 23’15” पूर्वी देशांतर के मध्य स्थित है। इसके उतर पश्चिम में कांगड़ा, दक्षिण पश्चिम में शिमला, जिला कुल्लू पूर्व में तथा हमीरपुर व बिलासपुर पश्चिम में स्थित है दक्षिण में जिला मंडी की सीमा सोलन जिला की तहसील अर्की से लगती है। बदर, चौहार , सराज तथा सोनार क्षेत्र में दिसम्बर से मार्च तक काफी मात्रा में हिमपात होता है। ततापानी तथा सुन्दरनगर जिले के सबसे गर्म क्षेत्र हैं।

पर्वत श्रृंखलाएं :

मंड़ी जिला की प्रमुख श्रृंखलाएं निम्नलिखित हैं जो इस जिले की भगोलिक सुन्दरता को निखारने में विशेष रूप से सहायक हैं :-

धौलाधार :

सुकेत खंड का एक बड़ा हिस्सा धौलापार श्रृंखला में आता है। यह श्रृंखला जिला की पूर्वी सीमा बनाती हुई उत्तर से दक्षिण की ओर बढ़ती है। इस की सबसे ऊंची चोटी नागरु (4400 मीटर) है। उत्तर पूर्व में यह पर्वत श्रृंखला कुल्लू जिला से भौगोलिक स्पर्श करती है।

घोघड़ धार :

इस श्रृंखला में सुप्रसिद्ध गुम्मा व ‘द्रंग ‘ पहाड़ी नामक की खाने स्थित हैं जो पुर्ण रूपसे घने जंगलों से ढकी हुई है। यह धार जोगिन्द नगर के समीप ‘हराबाग’ नामक स्थल पर जिले में प्रवेश करती है।

सिकंदर धार :

इस पर्वत माला का सम्बन्ध अकबर से 375 वर्ष पूर्व दिल्ली के सिहांसन पर राज करने वाले सिकंदर लोदी से जोड़ा जाता है, जो कांगड़ा रियासत पर विजय प्राप्त करने के लिए इस क्षेत्र से गुजरा था। यहाँ पर निर्मित कई जल संग्रहण टैंक तथा कान्टोनमेंट को भी उसी की यात्रा के साथ दृष्टांत किया जाता है। इस श्रृंखला की दो उप-धाराओं कमलाह धार व लिंडी धार में विभाजित किया जाता है। यह श्रृंखला उतरी पश्चिमी सीमा वनाती हुई सुकेत और विलासपुर की ओर बढ़ती है।

वैरकोट धार :

यह धार रिवालसर से शुरु होकर सुकेत तक जाती है। इससे प्रस्फुटित कुछ श्रृंखलाएं कांगड़ा तथा सिकंदर धार को स्पर्श करती है। इस श्रृंखला से होकर दो महत्वपूर्ण नदियां ब्यास व सतलुज बहती है।

नदियाँ :

ब्यास नदी :

ब्यास नदी लारजी के पास मंडी में प्रवेश करती है। इस स्थान पर सैंज और तीर्थन नदी व्यास में मिलती है। संधोल से व्यास नदी काँगड़ा में प्रवेश करती है। व्यास नदी में उत्तर दिशा से उहल ,लूनी ,और रीना नदी तथा दक्षिण में जंजैहली ,सुकेती ,सोन ,भखर ,और रमोली नदियां मिलती है। पंडोह बाँध द्वारा व्यास नदी का पानी दो सुरंगो से सतलुज में मिलाया गया है।

सतलुज नदी :

सतलुज नदी फिरनु गांव में मंडी में प्रवेश करती है। सतलुज नदी मंडी और शिमला जिलों की सीमा का निर्माण करती है

दर्रे : भुभु ,दुल्ची(मंडी -कुल्लू )

वन्य जीव अभ्यारण्य : बांदली ,नारगु ,शिकारी देवी

घाटियां :

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बल्ह घाटी : यह घाटी मंडी जिले के मैदानी भाग में स्थित है। यह हिमाचल प्रदेश में सबसे उपजाऊ घाटी है। इस घाटी की औसत ऊंचाई 800 मीटर है। 1962 में भारत जर्मन सयुंक्त कृषि परियोजना से इस घाटी का अद्भुत आर्थिक विकास हुआ है। इसे सुंदरनगर घाटी भी कहा जाता है।
चौंतड़ा घाटी : यह घाटी मंडी जिले के जोगिन्दरनगर में स्थित है।
इमला-विमला घाटी : मंडी जिले के शिकारी धार से परलोग (सतलुज नदी तट ) के बीच स्थित है। करसोग इस घाटी में स्थित है।
चौहार घाटी : मंडी जिले के उत्तर पूर्व में ऊहल नदी द्वारा चौहार घाटी का निर्माण किया गया है।

झीलें : पराशर , कुमारवाह ,रिवालसर ,कामरूनाग ,कुंतभयोग ,कालासर , सुखसार झील , लीलासर , खड़लासर ,ड्वारु सर झील , पंडोह झील (कृत्रिम झील )

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